2024 में देश का प्रधानमंत्री उम्मीदवार कौन होगा? इस पर खूब कहा – लिखा जा रहा है। राष्ट्रीय स्तर का मुद्दा है। हम ग्लोबल भी हो रहे हैं इसलिए अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी पैनी नज़र रखते हैं। चाहे रूस और यूक्रैन का युद्ध हो या चीन ताइवान के बीच अमेरिका का चौधरी बनना हो या फिर कंगाल पाकिस्तान का डूबना। राष्ट्र से अन्तराष्ट्र हर विषय पर चर्चा हो रही है। फिर भी कहीं समय बाच जाये तो हम विराट अनुष्का कहा ज़मीन ले रहे हैं उस पर भी ज्ञान बाँट रहे हैं। पता नहीं कब अनुष्का भौजाई का कॉल आजाये – भइया आप हर ग्यारह ग्यारह महीने में किराये का मकान बदलते हैं इसलिए बताइये 8 एकड़ जमीन लेना कम तो नहीं? ऐसे कई महत्वपूर्ण विषय है जिस में तथाकथित बुद्धिजीवी से लेकर आम जनता व्यस्त है।
अब इन पर मंथन करें या नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो की रिपोर्ट पर समय बर्बाद करे। इन विभागों को बंद क्यों नहीं किया जाता। अपना समय बर्बाद करते हैं। रही हमारे समय की बात तो वो हम स्वत: तबाह करने में निपूर्ण हैं। वैसे भी इस रिपोर्ट में हैं ही क्या नारी दमन की कालिख के दाग जिसे मिटाना तो दूर हम बात करना भी पसंद नहीं करते। क्योंकि उस रिपोर्ट में जो लिखा है वो हमारे घरों की सहमी हुई चीखें हैं जो आंसुओं के रस्ते से निकलती हैं। यह वह कालख है जो हम ही रौंदते हैं। इसलिए ही हर साल रिपोर्ट आती है और रद्दी में खो जाती है अन्यथा आँकड़े बढ़ते नहीं हम शर्म से दफ़न हो जाते।
हमारे देश में वर्ष 2021 में रेप के 31,677 केस दर्ज किए गए हैं। इस लिहाज से देश में रोजाना औसतन 86 रेप केस दर्ज हुए। देश में अपराधों को लेकर सरकार की नई रिपोर्ट के अनुसार, देश में हर घंटे में महिलाओं के खिलाफ अपराध के करीब 49 मामले दर्ज हुए। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो की ‘भारत में अपराध- 2021’ रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020 में देश में दर्ज रेप केसों की संख्या 28,046 थी जबकि 2019 में 32,033 रेप केस दर्ज हुए थे। एनसीआरबी, केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन काम करता है।
राज्यवार बात करें तो राजस्थान (6,337) इस मामले में पहले स्थान पर रहा। इसके बाद मध्य प्रदेश (2,947), उत्तर प्रदेश (२,845) और महाराष्ट्र (2,496) का स्थान रहा। देश की राजधानी दिल्ली में 2021 में रेप के 1250 केस दर्ज किए गए। एनसीआरबी के अनुसार, रेप के अपराध की दर (प्रति लाख जनसंख्या) राजस्थान (16.4) में सबसे अधिक थी, इसके बाद चंडीगढ़ (13.3), दिल्ली (12.9), हरियाणा (12.3) और अरुणाचल प्रदेश (11.1) का स्थान रहा। अखिल भारतीय औसत दर 4.8 रही। वर्ष 2021 में देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 4,28,278 मामले दर्ज किए गए, अपराध की दर (प्रति एक लाख का आबादी पर) 64.5 रही। आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि ऐसे अपराधों में अपराधों में चार्जशीटिंग दर (charge-sheeting rate)77.1 रही। बता दें, वर्ष 2020 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या 3,71,503 और 2019 में 4,05,326 थी। महिला वर्ग के खिलाफ अपराधों में रेप, रेप और हत्या, दहेज, एसिड अटैक, खुदकुशी के लिए उकसाना, अपहरण, जबरन शादी, ह्युमन ट्रैफिकिंग (मानव तस्करी) और ऑनलाइन उत्पीड़न आदि शामिल हैं।एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2021 में, महिलाओं के खिलाफ अपराधों के सबसे अधिक मामले यूपी (56,083) में दर्ज किए गए, इसके बाद राजस्थान (40,738), महाराष्ट्र (39,526), पश्चिम बंगाल (35,884) और ओडिशा (31,352) का स्थान रहा। उत्तराखंड में दुष्कर्म के 522 मामले सामने आए। इनमें से 97 मामलों में दुष्कर्म पीड़ित महिलाओं और युवतियों के जान-पहचान के लोग ही शामिल रहे हैं। 506 मामले ऐसे रहे जिनमें दुष्कर्म पीड़िता को अपनों से ही धोखा मिला। 351 मामलों में परिवारिक मित्र, जबकि 155 केस में पीड़ितों के करीबियों ने ही दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया।
रिपोर्ट के मुताबिक, दुष्कर्म के 522 मामलों में से महज 12 केस ऐसे हैं, जिनमें अज्ञात लोग शामिल रहे। इसके अलावा 16 मामलों में परिवार के सदस्यों के नाम सामने आए हैं। गृह मंत्रालय की यह रिपोर्ट उत्तराखंड में महिलाओं को लेकर बढ़ रही यौन हिंसा की घटनाओं का सबूत है। शर्म नहीं आयी ना यकीन था। हम दूसरे की निंदा कर सकते हैं पर खुद को सुधारने का सोच भी नहीं सकते। तभी तो इस रिपोर्ट पर चंद न्यूज़ के अलावा सन्नाटा है… कहीं कोई आर्टिकल, एडिटोरियल या बहस नहीं है। राजनेताओं ने बेतुके बयान देके बात को दरकिनार करा। हम जो चिल्ला-चिल्ला के संस्कृति की दुहाई देते हैं, वो मौन इसलिए है क्योंकि हमारे घर के लड़के ही नारी को तार-तार करते हैं, चाहे घर हो या बाहर….क्योंकि हम कमज़ोर और मानसिक रूप से अपाहिज हो चुके हैं।