डेस्क। पूर्वी लद्दाख सेक्टर में भारत और चीन के सैनिकों की डिसइंगेजमेंट शुरू हो गई है। दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते के अनुसार यह कदम उठाया जा रहा है। रक्षा अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि पूर्वी लद्दाख सेक्टर में डेमचोक और देपसांग मैदानों में 2 बिंदुओं पर सैनिक पीछे हट रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय सैनिकों ने संबंधित क्षेत्रों में पीछे के स्थानों पर उपकरणों को वापस खींचना शुरू कर दिया है। जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद दोनों एशियाई देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए थे। अब इस समझौते से भारत और चीन की सीमा पर टकराव खत्म होने का संकेत मिल रहा है।
सैनिकों के विवादित जगहों से पीछे हटने को लेकर सूत्रों ने कहा कि इसमें समय लगेगा। हालांकि, अब यह प्रक्रिया शुरू हो गई है। उन्होंने कहा, ‘समझौते की घोषणा के तुरंत बाद ही डिसइंगेजमेंट की तैयारियां शुरू हो हईं। अगले दिन स्थानीय कमांडरों की बैठक भी हुई थी।’ सूत्रों का कहना है कि सैनिकों की ओर से अपने ट हटाने का मतलब यह नहीं है कि वे पीछे हट गए हैं। हालांकि, रास्ता रोक रहे अस्थायी ढांचों को हटा देने से गश्त शुरू हो जाएगी। इसके लिए समझौते के प्रति दोनों देशों की प्रतिबद्धता भी जरूरी है।
‘गश्त और मवेशियों को चराने की मिली अनुमति’
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा था कि भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर जमीनी स्थिति बहाल करने के लिए व्यापक सहमति बनी है। इसमें पारंपरिक क्षेत्रों में गश्त और मवेशियों को चराने की अनुमति देना भी शामिल है। सिंह ने कहा, ‘भारत और चीन एलएसी के साथ कुछ क्षेत्रों में मतभेदों को सुलझाने के लिए सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत कर रहे हैं। वार्ता के बाद समान और पारस्परिक सुरक्षा के सिद्धांत के आधार पर जमीनी स्थिति को बहाल करने के लिए व्यापक सहमति बन गई है।’
पीएम मोदी-शी जिनपिंग ने समझौते का किया स्वागत
4 साल से अधिक समय से जारी सैन्य गतिरोध को समाप्त करने में इसे बड़ी सफलता माना जा रहा है। भारत ने सोमवार को घोषणा की कि वह पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गश्त करने को लेकर चीन के साथ समझौते पर पहुंच गया है। समझा जाता है कि इससे देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में गश्त शुरू होगी, क्योंकि इन दोनों स्थानों पर कई बड़े अनसुलझे मुद्दे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने भारत-चीन समझौते का ब्रिक्स सम्मेलन से इतर द्विपक्षीय बैठक में समर्थन किया। उन्होंने विभिन्न द्विपक्षीय वार्ता तंत्र को बहाल करने के निर्देश जारी किए, जो 2020 की सैन्य झड़प से प्रभावित हुए संबंधों को सामान्य बनाने के प्रयासों का संकेत देते हैं।