रत्न ज्योतिष में लहसुनिया को केतु का रत्न माना गया है। इस रत्न को कैट आई भी कहा जाता है क्योंकि इसकी संरचना बिल्ली के आंखों के जैसे होती है। ज्योतिष के अनुसार, नकारात्मक ऊर्जाओं से छुटकारा पाने और मन की शांति के लिए लहसुनिया रत्न धारण करना अत्यंत लाभकारी माना गया है, लेकिन इस रत्न का असर सभी पर एक समान नहीं होता है। इसलिए ज्योतिषीय सलाह के बिना लहसुनिया धारण करने से बचना चाहिए। साथ ही लहसुनिया पहनते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए। आइए जानते हैं लहसुनिया धारण करने के नियम और फायदे…
किसे पहनना चाहिए लहसुनिया?
ज्योतिष के अनुसार, अगल कुंडली में केतु ग्रह कमजोर हो, तो ऐसी स्थिति में लहसुनिया पहन सकते हैं। इससे मन को शांति मिलेगी और किसी भी प्रकार का भय नहीं रहेगा। केतु के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए लहसुनिया धारण करना लाभकारी माना गया है।
रत्न ज्योतिष के अनुसार, जिन लोगों की कुंडली में केतु पहले, तीसरे, चौथे, पांचवे, नौवे और 10वें घर में हैं, ऐसे लोगों के लिए लहसुनिया धारण करना लाभकारी साबित हो सकता है।
अगर केतु के साथ सूर्य हो, तो ऐसी स्थिति में भी लहसुनिया धारण करने की सलाह दी जाती है।
केतु की अंतर्दशा और महादशा चलने पर भी लहसुनिया रत्न को धारण करना शुभ फलदायी माना गया है।
रत्न ज्योतिष के अनुसार, अगर व्यापार में बार-बार घाटा का सामना करना पड़ रहा है, तो ज्योतिषीय सलाह लेकर लहसुनिया पहन सकते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से रुके हुए कार्य चल पड़ते हैं।
किन्हें नहीं धारण करना चाहिए लहसुनिया?
रत्न ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में राहु के दूसरे, सातवें, आठवें या 12 वें स्थान पर होने पर लहसुनिया न धारण करने की सलाह दी जाती है।
लहसुनिया को मोती, रूबी और पुखराज रत्न के साथ नहीं धारण करना चाहिए। इसे हीरे के साथ भी न पहनने की सलाह दी जाती है। इस हानि का सामना करना पड़ सकता है।
इसके साथ ही बिना ज्योतिषीय सलाह के लहसुनिया धारण करने की सख्त मनाही होती है। मान्यता है कि ऐसा करने से हार्ट और ब्रेन से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।