डेस्क:पाकिस्तान में आतंक फैलाने वाले संगठनों को लेकर एक और सनसनीखेज खबर सामने आई है। लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के सह-संस्थापक और कुख्यात आतंकी आमिर हमजा के गंभीर रूप से घायल होने की खबरें हैं। हालाँकि, पाकिस्तान की ओर से इस पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हमजा को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच लाहौर के एक सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
आतंकी हमले और अंदरूनी संघर्ष की आशंका?
सूत्रों के मुताबिक, आमिर हमजा अपने घर में ही किसी घटना में बुरी तरह घायल हुआ है। यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब हाल ही में भारत द्वारा किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने पाकिस्तान को वैश्विक मंच पर एक बार फिर आतंकवाद को पनाह देने के आरोपों के घेरे में ला खड़ा किया है। रिपोर्ट्स यह भी इशारा करती हैं कि हमजा को ISI (इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस) की निगरानी में रखा गया है, जो इस मामले को और भी संदिग्ध बनाता है।
यह ध्यान देने योग्य है कि महज तीन दिन पहले लश्कर का एक अन्य शीर्ष आतंकी अबु सैफुल्लाह पाकिस्तान में ही अज्ञात हमलावरों की गोलीबारी में मारा गया था। दोनों घटनाओं के समय और निशाने को देखते हुए आतंकी नेटवर्क में अंदरूनी संघर्ष या किसी बड़े बदलाव की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
कौन है आमिर हमजा?
आमिर हमजा को अगस्त 2012 में अमेरिका ने वैश्विक आतंकवादी घोषित किया था। वह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गुजरांवाला का रहने वाला है और लश्कर प्रमुख हाफिज सईद तथा अब्दुल रहमान मक्की का करीबी माना जाता है। हमजा वर्ष 2000 के दौरान भारत में कई आतंकी गतिविधियों में सक्रिय था। वर्ष 2005 में बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस पर हुए हमले में भी उसका और अबु सैफुल्लाह का नाम सामने आया था।
प्रोपेगैंडा प्रमुख और सलाहकार समिति का सदस्य
अमेरिकी ट्रेज़री विभाग के अनुसार, आमिर हमजा लश्कर-ए-तैयबा की केंद्रीय सलाहकार समिति का सदस्य है। वह इस संगठन की एक चैरिटी का प्रमुख है और सईद की देखरेख में चलने वाले यूनिवर्सिटी ट्रस्ट से भी जुड़ा है। 2010 तक हमजा लश्कर के प्रचार और साहित्यिक प्रोपेगैंडा का संचालन करता था।
क्या ऑपरेशन सिंदूर का असर दिखने लगा है?
भारतीय सैन्य कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान में आतंकी नेटवर्क की गतिविधियों पर गहरा प्रभाव पड़ता दिखाई दे रहा है। लश्कर जैसे संगठनों के शीर्ष आतंकियों पर हो रहे ये हमले और घटनाएं इस ओर संकेत करती हैं कि या तो अंदरूनी सफाया चल रहा है या फिर भारत का दबाव और अंतरराष्ट्रीय निगरानी असर दिखा रही है।
स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन इतना जरूर है कि लश्कर के अंदरूनी हलचलों ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों और सत्ता प्रतिष्ठान को चिंता में डाल दिया है। अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में आतंक के इस जाल में और कितनी गांठें खुलती हैं।