डेस्क:मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद गवर्नर अजय भल्ला ने उग्रवादियों से लूटे गए हथियारों को सरेंडर करने की तारीख दे दी थी। इसके बाद बड़ा हथियारों का जखीरा सुरक्षाबलों और पुलिस के पास वापस आ गया है। मणिपुर में अरमबाई टेंगोल (AT) के कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को इंफाल में प्रथम मणिपुर राइफल परिसर में कुल 307 हथियारों में से 246 हथियार सौंपे, जबकि पहाड़ी और घाटी जिलों में अन्य स्थानों पर 61 और हथियार सौंपे गए।
पुलिस ने बताया कि अरमबाई टेंगोल के सदस्यों ने आज मणिपुर सरकार के सामने हथियार सौंपे। पुलिस ने बताया कि स्वैच्छिक आत्मसमर्पण के लिए दी गई सात दिन की अवधि समाप्त होने के बाद, सभी संबंधित व्यक्तियों, विशेषकर युवाओं से दृढ़तापूर्वक अनुरोध किया जाता है कि वे आगे आएं और लूटे गए या अवैध रूप से रखे गए किसी भी हथियार को निकटतम पुलिस स्टेशन या चौकी और किसी भी सुरक्षा बल शिविर में जमा करें।
दिन की शुरुआत बड़ी संख्या में एटी सदस्यों के फर्स्ट मणिपुर राइफल्स की ओर आने से हुई और समारोह का कोई विवरण नहीं था क्योंकि मीडिया को इस कार्यक्रम को देखने की अनुमति नहीं थी। दो दिन पहले, एटी के नेताओं ने राजभवन में राज्यपाल के साथ मणिपुर की स्थिति पर चर्चा की।
गौरतलब है कि 03 मई, 2024 को चुराचांदपुर में एक विशिष्ट समुदाय के लोगों के घरों को जलाने और उनकी हत्या के बाद, एक सांस्कृतिक संगठन, अरमबाई टेंगोल, जनता के रक्षक के रूप में उभरा था। इसी बीच कुकी संगठनों में से कुछ ने संयुक्त बयान जारी कर अरमबाई टेंगूल के कार्यकर्ताओं के इस कदम की निंदा की है। उनका कहना है कि केवल संवेदना हासिल करने के लिए उन्होंने ऐसा किया है।
कुकी संगठनों ने कहा कि इंफाल वैली में 6 हजार से ज्यादा हथियार लूटे गए थे। वहीं 300 हथियारों का सरेंडर किया जाना कोई ड़ी संख्या नहीं है। यह केवल जनता में छवि सुधारने का एक तरीका है। मणिपुर के राज्यपाल सरकार की छवि ठीक करने के लिए यह सब कर रहे हैं। कुकी संगठनों ने कहा कि अरमबाई टेंगोल का राज्यपाल करना इंफाल की जनता के साथ अन्याय है। वे खुद मिलकर अपनी समस्याएं रखना चाहते थे लेकिन बीच में टेंगोल ने दखल दे दिया। अब यह इंफाल के लिए घातक हो सकता है।