डेस्क:केंद्र सरकार ने गुरुवार को हिंसा प्रभावित मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया है। यह कदम मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह द्वारा रविवार को अपने पद से इस्तीफा देने के कुछ दिनों बाद उठाया गया है। सिंह का यह फैसला पूर्वोत्तर प्रांत में जातीय हिंसा के लगभग 21 महीने बाद आया था, जिसमें 250 से अधिक लोग मारे गए हैं। इस दौरान हजारों लोग विस्थापित भी हुए हैं। गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि राज्यपाल से मिली रिपोर्ट के आधार पर राष्ट्रपति इस नतीजे पर पहुंची हैं कि मणिपुर में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है, जिसमें यहां की सरकार भारत के संविधान के प्रावधानों के अनुसार नहीं चल सकती इसीलिए राष्ट्रपति संविधान के अनुच्छेद 356 में दी गईं शक्तियों का इस्तेमाल कर यहां की शासन व्यवस्था अपने हाथों में ले रही हैं। बता दें कि राज्य में विधानसभा का अंतिम सत्र 12 अगस्त, 2024 को खत्म हुआ था।
इससे पहले बीरेन सिंह ने 9 फरवरी को मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को राजधानी इंफाल में अपना इस्तीफा सौंप दिया था। बीरेन सिंह ने विधानसभा के बजट सत्र शुरू होने से एक दिन पहले ही इस्तीफा सौंप दिया था जिसके बाद बजट सत्र को रद्द कर दिया गया था। बीरेन सिंह ने अपने त्यागपत्र में कहा था, “मणिपुर के लोगों की सेवा करना सम्मान की बात रही है। मैं समय पर कार्रवाई करने और मणिपुर के हर व्यक्ति के हितों की रक्षा के लिए केंद्र सरकार का बहुत आभारी हूं।”
ऑडियो टेप पर हंगामा
बता दें कि इससे पहले बीरेन सिंह पर मणिपुर हिंसा में शामिल होने के दावे को लेकर एक ऑडियो टेप जारी हुआ था। इस्तीफा देने से 5 दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने इस लीक हुए ऑडियो टेप पर फोरेंसिक रिपोर्ट मांगी थी। ऑडियो टेप में कथित तौर पर बीरेन सिंह को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि राज्य में उन्होंने हथियारों को लूटने की इजाजत दी थी जिसके बाद विपक्ष ने कई सवाल उठाए थे।
राजनीतिक अनिश्चितता जारी
इस बीच मणिपुर में बीते डेढ़ साल से जारी हिंसा के बीच राजनीतिक अनिश्चितता बनी हुई है। सत्तारूढ़ भाजपा के नॉर्थ ईस्ट के प्रभारी संबित पात्रा और पार्टी विधायकों के बीच कई दौर की बातचीत के बावजूद गतिरोध कायम दिख रहा है। संबित पात्रा ने पिछले दो दिनों में राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से दो बार मुलाकात की है। पात्रा ने कई भाजपा विधायकों के साथ भी बैठक की है।