डेस्क:मणिपुर में चल रही शांति वार्ता एक बार फिर रुकावट का शिकार हो गई है। कुकी समुदाय ने अपनी मांग को दोहराते हुए कहा है कि जब तक उनकी ‘अलग पहाड़ी राज्य’ या संघ राज्य क्षेत्र की मांग पूरी नहीं होगी, तब तक वे किसी भी समझौते को स्वीकार नहीं करेंगे। यह मांग केंद्र सरकार के लिए एक बड़ा चुनौती बन गई है।
पिछले कुछ दिनों में स्थिति तब और तनावपूर्ण हो गई, जब केंद्र ने 8 मार्च से राज्य में सभी के लिए स्वतंत्र आवाजाही सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया था। इसके बाद कुकी समुदाय के प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाबलों पर हमला किया। इस दौरान एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई और कई घायल हो गए। कुकी नेताओं का कहना है कि मेइती समुदाय के साथ सह-अस्तित्व अब संभव नहीं है और उनकी मांग पूरी होने तक वे सड़कों पर उतरते रहेंगे।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रदर्शन के दौरान कुकी बहुल कांगपोकपी जिले में 8 मार्च को मारे गए युवक का शव अंततः उसके परिवार को सौंप दिया गया है। प्रशासन का कहना है कि इससे जिले में जारी विरोध और सड़क अवरोध समाप्त होने की संभावना है। हालांकि, राज्य में स्थायी शांति की राह अब भी लंबी दिखाई देती है। कूकी-जो समुदाय और केंद्र सरकार के वार्ताकार ए के मिश्रा के बीच जारी बातचीत से ज्यादा प्रगति की उम्मीद नहीं है, क्योंकि कूकी-जो समुदाय अब भी “अलग पहाड़ी राज्य” की मांग पर अड़ा हुआ है। यह मांग संविधान के ढांचे के खिलाफ जाती है, जिससे केंद्र सरकार इसे स्वीकार करने के पक्ष में नहीं है।
सरकार कूकी-बहुल पहाड़ी इलाकों के लिए अलग प्रशासनिक व्यवस्था की मांग पर भी सहमति देने के मूड में नहीं दिख रही, क्योंकि इससे अलग राज्य की मांग को और बल मिल सकता है। इसके अलावा, यह रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस सीमावर्ती राज्य में अलगाववादी प्रवृत्तियों को भी प्रोत्साहित कर सकता है।
इसके बावजूद, केंद्र सरकार दोनों समुदायों (मेइती और कूकी) से संवाद जारी रखने के पक्ष में है। सरकार कूकी-जो समुदाय को संविधान के दायरे में ही किसी समाधान पर सहमत करने का प्रयास कर रही है, जिसमें उन्हें अधिक स्वायत्तता देना और उनकी विशिष्ट संस्कृति, विरासत और भाषा को संरक्षित करना शामिल हो सकता है।
सूत्रों के अनुसार, कांगपोकपी के जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक पिछले कुछ दिनों से कूकी-जो प्रदर्शनकारियों से बातचीत कर रहे थे, ताकि वे मारे गए युवक का शव स्वीकार कर अंतिम संस्कार कर सकें। 8 मार्च को हुए संघर्ष के दौरान युवक की मौत के बाद कूकी-जो प्रदर्शनकारियों ने बंद बुलाया था और सड़कों को ब्लॉक कर दिया था।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, “अवरोध का प्रभाव मुख्य रूप से कांगपोकपी में देखा गया, जहां स्थानीय प्रशासन और समुदाय के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत के बाद मृतक के परिवार ने शव को अंतिम संस्कार के लिए स्वीकार कर लिया है।”
मणिपुर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मई 2023 में राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के बाद लूटे गए कुल 4,500 हथियार अब पुलिस के पास वापस आ गए हैं। इनमें से लगभग 1,050 हथियार विद्रोहियों ने राज्यपाल अजय भल्ला के आह्वान पर आत्मसमर्पण किए, जबकि बाकी हथियार पुलिस और सुरक्षा बलों द्वारा तलाशी अभियानों के दौरान जब्त किए गए। अधिकारी ने कहा, “अब जब हथियारों को स्वेच्छा से सौंपने की राज्यपाल की समय सीमा समाप्त हो चुकी है, तो पुलिस और सुरक्षा बल इन हथियारों को बरामद करने के लिए आगे भी तलाशी अभियान जारी रखेंगे।”
इस बीच, मणिपुर के सांसद बिमोल अकोइजम ने लोकसभा में विरोध जताया कि उनके राज्य से जुड़े सवाल को सूचीबद्ध किए जाने के बावजूद हटा दिया गया। उन्होंने शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाने की कोशिश की, लेकिन अध्यक्ष की कुर्सी संभाल रहे जगदंबिका पाल ने इसकी अनुमति देने से इनकार कर दिया। पाल ने कहा, “यह मुद्दा यहां नहीं उठाया जा सकता।”