राजकोट: राजकोट की धरा पर वर्धमान महोत्सव सुसम्पन्न कर शुक्रवार को जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपने चरण गतिमान किए तो राजकोटवासियों ने पूज्यचरणों में अपनी प्रणति अर्पित की। सभी को मंगल आशीष प्रदान करते हुए आचार्यश्री अगले गंतव्य की ओर गतिमान हुए। लगभग दस किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री राजकोट के बाहरी भाग में स्थित मारवाड़ी युनिवर्सिटी में पधारे तो युनिवर्सिटी से संबंधित लोगों ने आचार्यश्री का भावपूर्ण स्वागत किया।
युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने समुपस्थित जनता को पावन प्रतिबोध प्रदान करने के लिए एक कथानक का वर्णन करते हुए कहा कि इस संसार में कोई किसी का त्राण और शरणदाता नहीं बन सकता है, यह एक अपेक्षा से बात बताई गई है। आज चिकित्सा, जांच आदि की कितनी व्यवस्थाएं हैं, लेकिन कोई ऐसा डॉक्टर है क्या जो गारण्टी ले कि किसी को कह दे कि तुम कभी नहीं मरोगे? तुम कभी बुढे नहीं होगे, तुम कभी मरोगे नहीं? ऐसा संभव ही नहीं है। डॉक्टर चिकित्सा कर सकता है, लेकिन बचा ही लेना डॉक्टरों के वश की बात नहीं। वृक्ष के पके हुए पत्ते के समान मनुष्य का जीवन समाप्त हो जाता है। हमें मनुष्य जीवन प्राप्त है, तो क्षण मात्र भी इस जीवन को प्रमाद में नहीं जाने देना चाहिए। जीवन में आदमी धर्म के रास्ते पर चले और अध्यात्म की साधना का प्रयास करे और कभी ऐसा भी हो कि इस संसार से पार भी पा लिया जाए, मोक्ष की प्राप्ति हो जाए। इसके लिए आदमी को सद्भावना रखने का प्रयास करना चाहिए। सभी प्राणियों के प्रति सद्भाव हो, किसी के प्रति फालतू द्वेष की भावना न हो। हिंसा, हत्या आदि से बचने का प्रयास करना चाहिए। दूसरी बात है कि आदमी के जीवन में नैतिकता रहे। आदमी कोई भी धंधा करे, बिजनेश करे, नौकरी करे, व्यापार करे, लेन-देन करे, उसमें ज्यादा से ज्यादा ईमानदारी रखने का प्रयास होना चाहिए। तीसरी बात बताई गई कि शराब, सिगरेट, गुटखा, खैनी आदि-आदि नशीले पदार्थों के सेवन से अपने आपको बचाने का प्रयास करना चाहिए।
अच्छा इंसान बने रहने में सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति अच्छे सहायक तत्त्व बन सकते हैं। मानव जीवन में धर्म की आराधना करने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने कहा कि आज मारवाड़ी युनिवर्सिटी में आना हुआ है। कल तक भी हमारा प्रवास आत्मीय युनिवर्सिटी हुआ। हमारा वर्ष 2024 का चतुर्मास भी सूरत में भगवान महावीर युनिवर्सिटी में हुआ। हमारा एक जैन विश्व भारती डिम्ड टू बी युनिवर्सिटी लाडनूं में है। युनिवर्सिटी के विद्यार्थियों में सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति के संस्कार आते रहें।
मारवाड़ी युनिवर्सिटी के चेयरमेन श्री केतनभाई मारवाड़ी ने आचार्यश्री के स्वागत में अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी और आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त किया। आज आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में हिसार की विधायक व जिंदल ग्रुप की चेयरमेन सावित्री जिंदल भी पहुंचीं। उन्होंने आचार्यश्री के समक्ष अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करते हुए कहा कि आपके दिखाए गए राह पर चलकर आत्मिक बल और जीवन के प्रति नई दृष्टि प्राप्त होती है। उन्होंने हिसार में आचार्यश्री के चतुर्मास की अर्ज भी की। जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के पूर्व अध्यक्ष श्री सुरेशचन्द्र गोयल ने भी अपनी प्रार्थना पूज्यप्रवर के समक्ष रखी। हरियाणा प्रान्तीय सभा के अध्यक्ष श्री मक्खनजी ने भी अपनी भावाभिव्यक्ति दी। हरियाणा के कई श्रद्धालु आचार्यश्री के समक्ष अपनी प्रार्थना करने लगे। इस संदर्भ में आचार्यश्री ने पावन आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहा कि यथासंभवतया निकट भविष्य में हरियाणा की यात्रा करनी है। उस यात्रा क्रम में बृहत्तर हिसार में तीन महीनों का प्रयास करने का भाव है। शासनश्री साध्वी यशोधराजी की आत्मकथा ‘संकल्प की सीप, संन्यास का मोती’ को जैन विश्व भारती के पदाधिकारियों द्वारा लोकार्पित की गई। इस संदर्भ में आचार्यश्री ने पावन आशीर्वाद प्रदान किया।