हिंदू पंचांग के अनुसार,इस साल 16 नवंबर से मार्गशीर्ष माह की शुरुआत हो चुकी है और 15 दिसंबर 2024 को समापन होगा। सनातन धर्म में प्रत्येक माह में शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। शिवजी की पूजा-आराधना के लिए प्रदोष व्रत का दिन सबसे उत्तम माना गया है। मान्यता है कि इस दिन शिव-गौरी के पूजन से जीवन में सुख-समृद्धि और खुशियों का आगमन होता है। दृक पंचांग के अनुसार, 28 नवंबर 2024 को मार्गशीर्ष यानी अगहन महीने का पहला प्रदोष व्रत रखा जाएगा। आइए जानते हैं प्रदोष व्रत की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और व्रत के नियम…
कब है प्रदोष व्रत?
दृक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 28 नवंबर 2024 को सुबह 06:23 एएम पर होगा और अगले दिन 29 नवंबर को सुबह 09:43 एएम पर समाप्त होगा। इसलिए उदयातिथि के अनुसार, 28 नवंबर दिन गुरुवार को प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इसलिए इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाएगा। इस दिन सौभाग्य योग और शोभन योग का शुभ संयोग बन रहा है।
प्रदोष काल पूजा मुहूर्त :
28 नवंबर को गुरु प्रदोष के दिन शाम 05 बजकर 12 मिनट से लेकर रात 07 बजकर 55 मिनट तक प्रदोष काल पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा।
प्रदोष व्रत के नियम :
प्रदोष व्रत में के दिन देर तक सोना नहीं चाहिए।
इस व्रत में काले रंग के कपड़े नहीं पहनना चाहिए।
व्रत में किसी को भी जाने-अनजाने में अपशब्द कहने से बचना चाहिए।
इस दिन व्रत में लहसुन,प्यार और मांस-मदिरा समेत तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए।
प्रदोष व्रत के दिन भगवान भोलेनाथ को सिंदूर,हल्दी, तुलसी और केतकी का फूल नहीं अर्पित करना चाहिए।
इस व्रत में अन्न,चावल और सादे नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।