मेलूसर, चूरु (राजस्थान) : मानवता का शंखनाद करते हुए जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा के प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमणजी क्रमशः अपनी जन्मभूमि सरदारशहर के सन्निकट होते जा रहे हैं। सरदारशहर की धरती अपनी कोख से जन्मे महामानव की अभिवंदना के लिए लालायित नजर आ रही है। शनिवार को आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपनी धवल सेना संग रेताणावास-भालेरी से मंगल प्रस्थान किया। मार्ग में अनेक गांव के लोगों को आचार्यश्री के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आचार्यश्री लगभग आठ किलोमीटर का विहार कर मेलूसर में स्थित मालू परिवार के फार्म हाउस में पधारे। कुबेर ग्रुप से सम्बद्ध मालू परिवार ने वाद्ययंत्रों की मंगल ध्वनि और बुलंद जयघोष के साथ अपने आराध्य का स्वागत किया।
परिसर में आयोजित मुख्य प्रवचन में आचार्यश्री ने पावन संबोध प्रदान करते हुए कहा कि जैन आगम उत्तराध्ययन में आत्मा से युद्ध करने की बात बताई गई है। अपने आपको जीतना महत्त्वपूर्ण और मुश्किल कार्य है। आत्मा के द्वारा आत्मा को जीतकर आत्मा को सुखी बनाने का कार्य कठिन है। एक योद्धा महासंग्राम में दस लाख योद्धाओं पर विजय प्राप्त करना बड़ी विजय हो सकती है, किन्तु आत्मा पर विजय प्राप्त करने वाला साधक परम विजयी होता है। भगवान ऋषभ, पार्श्वनाथ व भगवान महावीर आदि कितने परम विजेता बने हैं। अपनी आत्मा पर विजय प्राप्त करने के लिए अपने भीतर के विकारों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए। राग-द्वेष, क्रोध, मान, माया लोभ को क्षीण करने का प्रयास करना चाहिए। उपशम, मार्दव, ऋजुता, संतोष, वैराग्य व समता की भावना का विकास कर आत्मविजयी बनने की दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है।
आचार्यश्री ने मेलूसर आगमन के संदर्भ में कहा कि आज यहां मालू परिवार के निवास स्थान में आना हुआ है। परिवार में खूब धार्मिकता के संस्कार बने रहें। आचार्यश्री के स्वागत में मालू परिवार की महिलाओं व श्रीमती संगीता बच्छावत द्वारा पृथक्-पृथक् गीत का संगान किया गया। श्री विकास मालू, आचार्य महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति-सरदारशहर के अध्यक्ष श्री बाबूलाल बोथरा, तेरापंथी सभा-सरदारशहर के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ चण्डालिया, श्री गजानंदजी, श्रीमती निशा सेठिया, प्रधान मधुसूदनजी, सरदारशहर नगरपालिका के उपाध्यक्ष श्री अब्दुल रसीद चायल, श्री बाबूलाल दूगड़ ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। स्थानीय ग्राम पंचायत की सरपंच श्रीमती शीला शरण ने आचार्यश्री के निकट अभिनंदन पत्र समर्पित किया। अणुव्रत समिति की मंत्री डॉ. प्रभा पारिख ने अभिनंदन पत्र का वाचन किया।
राजस्थान के पूर्व मंत्री श्री राजकुमार रिणवा ने कहा कि यह हमारे लिए परम सौभाग्य कि बात है कि आज आचार्यश्री महाश्रमणी के दर्शन करने, उनके प्रवचन सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आपका आशीर्वाद जनता व हम सभी को हमेशा प्राप्त होता रहे। विद्यार्थियों द्वारा वृद्धावस्था की पीड़ा और पेड़ की पीड़ा की सुन्दर प्रस्तुति दी। आज पूरे दिन स्थानीय ग्रामीणों सहित सरदारशहरवासियों के दर्शनार्थ पहुंचने का क्रम जारी रहा।