नई दिल्ली। आबकारी नीति में कथित भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तारी और रिमांड आदेश को चुनौती देने वाली अरविंद केजरीवाल की याचिका पर बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। मुहर्रम के अवकाश के बावजूद उच्च न्यायालय में चार घंटे तक चली बहस में बचाव पक्ष की तरफ से भगवान से लेकर आतंकवादी तक शब्दों का इस्तेमाल केजरीवाल को जमानत देने के लिए किया गया। केजरीवाल की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया कि गौर करने वाली बात यह है कि दो साल तक चुप बैठने वाली सीबीआई केजरीवाल को अदालत से राहत मिलने के बाद क्यों सक्रिय हुई।
बिना सबूत के गिरफ्तार किया
केजरीवाल की तरफ से तीन वकील पेश हुए। इनमें वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मुन सिंघवी, सी हरिहरन और विक्रम चौधरी शामिल थे। बचाव पक्ष के वकीलों ने कहा कि सीबीआई के पास गिरफ्तार करने के लिए कोई सबूत नहीं था। सीबीआई ने सिर्फ इस रूप में गिरफ्तारी की थी कि अगर केजरीवाल बाहर आते हैं तो हालात बदलेंगे। केजरीवाल के पक्ष में तीन आदेश हैं। सिंघवी ने तर्क दिया कि केजरीवाल को धनशोधन मामले में नियमित जमानत मिल चुकी है, इस पर उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी है। अभी यह मामला उच्च न्यायालय में लंबित है। वहीं, केजरीवाल को उच्चतम न्यायालय से अंतरिम जमानत मिल चुकी है। ऐसे में सीबीआई की गिरफ्तारी केजरीवाल जानबूझकर फंसाए रखने की तरफ इशारा कर रही है।
आतंकवादी नहीं हैं
सिंघवी ने कहा कि आखिरकार केजरीवाल आतंकवादी न होकर एक मुख्यमंत्री हैं। केजरीवाल को आवेदन की प्रति कभी नहीं मिलती और कोई नोटिस नहीं दिया गया है, केजरीवाल की बात नहीं सुनी गई। सिंघवी ने कहा कि विशेष अदालत ने केजरीवाल को चार दिन पहले ही धनशोधन के तहत नियमित जमानत दी है। सिंघवी ने कहा कि उन्हें गर्व है कि हम वह देश नहीं हैं जहां तीन दिन पहले इमरान खान रिहा हुए, सभी ने अखबार में पढ़ा और उन्हें एक और मामले में फिर से गिरफ्तार कर लिया गया।
पुख्ता सबूत थे, तभी गिरफ्तार किया: एजेंसी
सीबीआई की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता डीपी सिंह ने केजरीवाल द्वारा दाखिल दो याचिकाओं का विरोध किया। सीबीआई की तरफ से कहा गया कि बचाव पक्ष जिन पांच लोगों की जमानत की बात कर रहा है वे पांचों लोग केजरीवाल, सिसोदिया और के. कविता के अधीन काम करते थे। सीबीआई ने कहा कि यह पाकिस्तान नहीं है। यहां कानून का शासन है। केजरीवाल की गिरफ्तारी पुख्ता सुबूतों के आधार पर की गई है। इसलिए इस तरह के उदाहरण देना उचित नहीं है। साक्ष्यों के आधार पर केजरीवाल की गिरफ्तारी किसी आधार पर गैरकानूनी नहीं है।
ज्ञात रहे कि केजरीवाल को सीबीआई ने 26 जून को तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था। तिहाड़ में वह पहले ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज धनशोधन के मामले में न्यायिक हिरासत में थे। मुख्यमंत्री को ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था और सुनवाई अदालत ने 20 जून को उन्हें धनशोधन के मामले में जमानत दी थी। हालांकि, सुनवाई अदालत के फैसले पर उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी थी। केजरीवाल को उच्चतम न्यायालय ने 12 जुलाई को धनशोधन के मामले में अंतरिम जमानत दी थी।