प्रयागराज में आस्था का महाकुंभ 2025 पौष पूर्णिमा के दिन यानी 13 जनवरी 2025 से प्रारंभ होगा और 26 फरवरी 2025 को समाप्त होगा। महाकुंभ मेला हर 12 साल में एक बार होता है। महाकुंभ में दुनिया भर के संत-साधु व भक्त आस्था की डुबकी लगाते हैं। कुंभ मेला में शाही स्नान का विशेष महत्व है। इसे अमृत स्नान भी कहा जाता है। शाही स्नान महाकुंभ से जुड़ी एक बेहद खास धार्मिक परंपरा है। ऐसा माना जाता है कि शाही स्नान के दौरान डुबकी लगाने से भक्तों के पाप धुल जाते हैं और लोगों को पुण्य की प्राप्ति होती है। यह अमृत स्नान लोगों को आध्यात्मिक मुक्ति के करीब लाता है। जानें प्रयागराज महाकुंभ 2025 से पहले कब और कहां लगा था कुंभ मेला।
महाकुंभ 2025 से पहले कहां लगा था कुंभ मेला:प्रयागराज महाकुंभ 2025 से पहले साल 2021 में धर्मनगरी हरिद्वार में कुंभ मेले का आयोजन किया गया था। 2021 में सरकार मकर संक्रांति से महाकुंभ की शुरुआत करने की प्लानिंग बना रही थी, जिससे कुंभ मेला चार माह तक चल सके। लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण कुंभ सिर्फ 30 दिनों के लिए कराना पड़ा था। महाकुंभ की अधिसूचना सरकार ने 1-30 अप्रैल 2021 तक की जारी की थी।
हरिद्वार में कुंभ मेला कब लगता है:हरिद्वार में कुंभ मेला हर 12 वर्ष में लगता है। हरिद्वार में कुंभ तब लगता है तब गुरु कुंभ राशि में और सूर्य मेष राशि में होते हैं।
हरिद्वार में अगला महाकुंभ कब लगेगा: हरिद्वार में महाकुंभ का आयोजन साल 2033 में किया जाएगा। देवगुरु बृहस्पति साल 2033 में 17 और 18 मार्च की मध्य रात्रि कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे।
2033 में कुंभ मेले की शाही स्नान की तारीखें-वर्ष 2033 में हरिद्वार में महाकुंभ का आयोजन होगा। जिसमें 28 फरवरी 2033 को अखाड़ों का पहला शाही स्नान होगा। 30 मार्च 2033 को चैत्र अमावस्या पर दूसरा शाही स्नान, 14 अप्रैल 2033 के दिन संक्रांति और पूर्णिमा का स्नान। 1 मई 2033 को अक्षय तृतीया का शाही स्नान होगा।
प्रयागराज कुंभ मेला 2025 शाही स्नान तिथियां-
13 जनवरी (सोमवार)- स्नान, पौष पूर्णिमा
14 जनवरी (मंगलवार)- शाही स्नान, मकर सक्रांति
29 जनवरी (बुधवार)- शाही स्नान, मौनी अमावस्या
3 फरवरी (सोमवार)- शाही स्नान, बसंत पंचमी
12 फरवरी (बुधवार)- स्नान, माघी पूर्णिमा
26 फरवरी (बुधवार)- स्नान, महाशिवरात्रि