डेस्क:महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव प्रचार के बीच महाविकास आघाडी (MVA) के हिस्से के रूप में कांग्रेस भले ही मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारी करती रही हो पर परिणाम के बाद पार्टी अड़ियल रुख नहीं अपनाएगी। MVA को एकजुट रखने के लिए पार्टी मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी दावेदारी से पीछे हट सकती है। गौरतलब है कि इस गठबंधन में कांग्रेस, एनसीपी (एसपी) और शिवसेना (यूबीटी) शामिल है। इससे पहले कई मौकों पर प्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने मुख्यमंत्री पद के लिए पार्टी की दावेदारी पेश की है। वहीं महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस MVA गठबंधन में सबसे अधिक सीट पर चुनाव लड़ रही है। पार्टी को उम्मीद है कि विदर्भ में बेहतर प्रदर्शन के जरिए वह गठबंधन में सबसे अधिक सीट जीतने में सफल रहेगी। ऐसे में MVA बहुमत का आंकड़ा हासिल करने में सफल रहता है तब भी पार्टी जल्दबाजी नहीं करेगी।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा है कि ऐसी स्थिति बनती है तो भी पार्टी अपनी तरफ से कोई ऐलान नहीं करेगी। पार्टी एमवीए के तमाम वरिष्ठ नेताओं के साथ चर्चा के बाद आगे कदम बढ़ाएगी। यह सवाल किए जाने पर कि अगर कांग्रेस के सबसे बड़ा दल बनने के बावजूद एमवीए का कोई और घटक दल सीएम पद पर अपनी दावेदारी जताता है तो, इस पर उन्होंने कहा है कि पार्टी एमवीए की एकजुटता को तरजीह देगी।
जानकारों की माने तो मौजूदा राजनीतिक माहौल में इंडिया गठबंधन के घटक दलों के बीच एकजुटता अहम है। सिर्फ मुख्यमंत्री पद के लिए एमवीए की एकजुटता को दांव पर नहीं लगाया जा सकता। दरअसल एमवीए के अंदर पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद पर अपनी दावेदारी जताते रहे हैं। इसके साथ वरिष्ठ नेता शरद पवार की बेटी और सांसद सुप्रिया सुले भी दावेदार हैं।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि एमवीए में मुख्यमंत्री पद पर कोई झगड़ा नहीं होगा। एमवीए जीत की दहलीज तक पहुंचता है, तो गठबंधन के बड़े नेता पहली मुलाकात में मुख्यमंत्री पर फैसला कर लेंगे। हालांकि वह मानते हैं कि महाराष्ट्र कांग्रेस का एक बड़ा तबका मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारी जता रहा है पर इस बारे में अंतिम निर्णय गठबंधन को एकजुट रखते हुए किया जाएगा।