नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने 33% महिला आरक्षण कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई से शुक्रवार को इनकार कर दिया। अदालत ने उस याचिका को निरर्थक बताया जिसमें विधेयक को चुनौती दी गई थी, न कि अधिनियम को। दूसरी याचिका में इस मामले को लेकर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने सहित अन्य उपाय तलाशने की मांग रखी गई, जिसे नकार दिया गया। एससी की बेंच ने कहा कि पहले भी संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण का मुद्दा उठाया था, मगर इसे कभी लागू नहीं किया जा सका। हालांकि, इस बार इसे परिसीमन प्रक्रिया पूरी होने की शर्त पर लागू किया जा रहा है।
महिला आरक्षण कानून क्या है?
महिला आरक्षण अधिनियम 2023 लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और दिल्ली विधानसभा में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित करता है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर भी यह नियम लागू होगा। इसका मतलब है कि लोकसभा की 543 सीटों में से 181 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित कर दी जाएंगी।
जनगणना के आंकड़े जारी होने के बाद यह आरक्षण लागू होगा। जनगणना के आधार पर महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित होंगी जिसके लिए परिसीमन किया जाएगा। यह आरक्षण 15 साल की अवधि के लिए मिलेगा।