लंदन:पहलगाम आतंकी हमले और उसके जवाब में भारत द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाक संबंधों में तनाव चरम पर पहुंच चुका है। इस संवेदनशील समय में पाकिस्तान से निर्वासित मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (MQM) के संस्थापक और प्रमुख नेता अल्ताफ हुसैन ने एक लाइव संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खुलकर प्रशंसा की है और पाकिस्तान में रह रहे मुहाजिरों के संरक्षण के लिए भावुक अपील की है।
लंदन से अपने सोशल मीडिया लाइव के ज़रिए अल्ताफ हुसैन ने स्पष्ट किया कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को कोई औपचारिक पत्र नहीं भेजा, बल्कि उनके बलूच नीति के प्रति नरम रुख और नैतिक दृष्टिकोण की सराहना की है। हुसैन के अनुसार, पीएम मोदी की संवेदनशीलता एक साहसिक और नैतिक दृष्टिकोण की परिचायक है, और यही आशा उन्हें मुहाजिरों के लिए भारत से समर्थन मांगने को प्रेरित करती है।
मुहाजिर कौन हैं?
मुहाजिर वे लोग हैं जो 1947 के भारत-पाक विभाजन के दौरान भारत से पाकिस्तान गए थे। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश जैसे हिन्दी भाषी क्षेत्रों से आए ये लोग आज कराची, लाहौर और सिंध जैसे शहरी इलाकों में बसे हैं। ये मुख्यतः उर्दू भाषी हैं और पाकिस्तान में सामाजिक और राजनीतिक रूप से अल्पसंख्यक बन चुके हैं। हालांकि इन्होंने शिक्षा, व्यापार, प्रशासन और पत्रकारिता जैसे क्षेत्रों में अहम योगदान दिया, लेकिन आज भी इन्हें पाकिस्तानी पहचान के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
पाक सेना पर गंभीर आरोप
अपने भाषण में अल्ताफ हुसैन ने आरोप लगाया कि पाकिस्तानी सेना द्वारा अब तक 25,000 से अधिक मुहाजिर युवाओं की हत्या की जा चुकी है, जबकि हज़ारों को जबरन उठा लिया गया, जिनका आज तक कोई अता-पता नहीं है। उन्होंने दावा किया कि पिछले 61 वर्षों से मुहाजिर समुदाय को शैक्षणिक, आर्थिक और सामाजिक स्तर पर योजनाबद्ध तरीके से शोषण का शिकार बनाया गया है।
हुसैन ने कहा कि पाकिस्तान की सैन्य व्यवस्था ने न केवल मुहाजिरों को पाकिस्तानी मानने से इंकार किया है, बल्कि उनके राजनीतिक संगठन MQM को भी कुचलने के लिए लगातार सैन्य कार्रवाइयां की हैं।
“पाकिस्तान में हमारी कोई नहीं सुनता”
अल्ताफ हुसैन का यह वक्तव्य न केवल पाकिस्तान में मुहाजिरों की दशकों पुरानी पीड़ा को दोहराता है, बल्कि भारत से एक प्रकार की नैतिक और मानवतावादी हस्तक्षेप की अपील भी करता है। उन्होंने कहा, “हम भारत से आए थे, पर हमें आज भी पाकिस्तान में बाहरी समझा जाता है। हमें न इंसाफ मिला, न पहचान। प्रधानमंत्री मोदी, कृपया हमारे लिए आवाज़ उठाइए।”
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में नया संदर्भ
विभाजन के समय लाखों भारतीय मुसलमानों ने पाकिस्तान को अपनी ज़मीन माना और वहां जाकर बस गए, इस आशा के साथ कि उन्हें बराबरी और सम्मान मिलेगा। परंतु आज सात दशक बाद भी, वे भेदभाव, हिंसा और अपमान का शिकार हो रहे हैं। अल्ताफ हुसैन की यह अपील न केवल एक राजनीतिक वक्तव्य है, बल्कि एक गहरी मानवीय पुकार भी है, जो उपमहाद्वीप की साझा त्रासदियों की याद दिलाती है।