कोलकाता:पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में बीते अप्रैल में भड़की हिंसा को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति की रिपोर्ट ने राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया है। रिपोर्ट में स्पष्ट संकेत दिए गए हैं कि यह हिंसा सुनियोजित थी और इसमें स्थानीय पुलिस व सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के कुछ नेताओं की भूमिका संदिग्ध है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वक्फ कानून के विरोध में शुरू हुए प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा में कम से कम तीन लोगों की मौत हुई, दर्जनों घायल हुए, और सैकड़ों दुकानें व मकान जलाकर राख कर दिए गए। 8 से 12 अप्रैल के बीच फैली इस हिंसा में 113 घरों को तोड़ा गया और बड़ी संख्या में लोग अपना घर छोड़कर मालदा जिले में शरण लेने को मजबूर हुए।
पुलिस रही मूकदर्शक, टीएमसी नेता लूट में शामिल: रिपोर्ट
हाईकोर्ट की खंडपीठ—न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति राजा बसु चौधरी—ने इस घटना की न्यायिक जांच के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के रजिस्ट्रार जोगिंदर सिंह, वेस्ट बंगाल लीगल सर्विस अथॉरिटी के सचिव सत्य अर्णब घोषाल और वेस्ट बंगाल ज्यूडिशियल सर्विस के रजिस्ट्रार सौगत चक्रवर्ती की समिति बनाई थी। इस समिति ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी।
रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि पुलिस ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं किया और कई स्थानों पर या तो वह अनुपस्थित रही या निष्क्रिय बनी रही। स्थानीय नागरिकों ने बताया कि हिंसा के दौरान पुलिस को बार-बार फोन किए गए, लेकिन किसी ने कॉल तक नहीं उठाया।
शमशेरगंज इलाके में हुई लूटपाट की घटनाओं का जिक्र करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि असामाजिक तत्वों ने दुकानों और एक मॉल को निशाना बनाया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार हमलावरों ने अपने चेहरे मास्क से ढके हुए थे, और टीएमसी के स्थानीय पार्षद महबूब आलम को भी भीड़ में देखा गया।
न्यायालय ने पुनर्वास के लिए सुझाव मांगे
रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार हिंसा से प्रभावित नागरिकों को पर्याप्त सुरक्षा देने में विफल रही। अदालत ने समिति को विस्थापित लोगों की पहचान कर उनके पुनर्वास के उपाय सुझाने को कहा है और इस विफलता को दूर करने के लिए योग्य मूल्यांकन विशेषज्ञों की नियुक्ति की अनुशंसा की है।
ममता सरकार की सफाई और मुआवज़े की घोषणा
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हिंसा के पीछे “बाहरी तत्वों” की भूमिका की बात कही थी। उन्होंने मई के पहले सप्ताह में हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया और मारे गए तीन लोगों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये का मुआवज़ा देने की घोषणा की। साथ ही उन्होंने “बांग्लार बाड़ी” योजना के तहत बेघर हुए लोगों को मकान देने का वादा किया।
बीजेपी का तीखा हमला
रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद भाजपा ने टीएमसी सरकार पर तीखा हमला बोला है। बीजेपी नेता दिलीप घोष ने कहा, “यह रिपोर्ट सत्तारूढ़ पार्टी और प्रशासन के गठजोड़ को उजागर करती है। यहां सुनियोजित तरीके से हिंदू आबादी को निशाना बनाया गया।” वहीं सांसद सुधांशु त्रिवेदी और आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने भी रिपोर्ट के हवाले से ममता सरकार को घेरा।
टीएमसी ने साधी चुप्पी
टीएमसी ने अब तक इस रिपोर्ट पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। पार्टी के प्रवक्ता जय कुमार मजूमदार ने केवल इतना कहा, “यह मामला अदालत में विचाराधीन है, इसलिए फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं की जाएगी।”
यह रिपोर्ट आने के बाद राज्य में राजनीतिक तापमान और चढ़ गया है। अब निगाहें इस बात पर हैं कि अदालत अगली सुनवाई में क्या रुख अपनाती है और राज्य सरकार इस पर क्या कदम उठाती है।