नई दिल्ली: रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात महाकुंभ के श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण भगदड़ मच गई, जिसमें 18 लोगों की मौत हो गई। मृतकों में 9 महिलाएं, 5 बच्चे और 4 पुरुष शामिल हैं। कई अन्य घायल हैं, जिनका इलाज लोक नायक जय प्रकाश (LNJP) अस्पताल और लेडी हार्डिंग अस्पताल में किया जा रहा है। इस घटना के बाद रेलवे बोर्ड ने जांच के आदेश दिए हैं, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हादसे पर शोक व्यक्त किया है।
कैसे हुआ हादसा?
यह भगदड़ रात करीब 9:26 बजे प्लेटफॉर्म 13 और 14 पर हुई, जब हजारों यात्री महाकुंभ के लिए विशेष ट्रेनों में सवार होने के लिए एकत्रित हुए थे। भीड़ बढ़ने से स्थिति बेकाबू हो गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, कई यात्री बिना टिकट के ही प्लेटफॉर्म पर पहुंच गए थे और किसी ने उन्हें रोका नहीं। बहुत से लोगों ने कहा कि वे ट्रेन में चढ़ने के बाद टिकट ले लेंगे।
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, प्रयागराज एक्सप्रेस प्लेटफॉर्म 14 पर खड़ी थी, जबकि स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस और भुवनेश्वर राजधानी ट्रेनें भी देर से आईं, जिससे प्लेटफॉर्म 12, 13 और 14 पर भीड़ बढ़ गई। इसी बीच, ट्रेन के प्लेटफॉर्म बदलने की घोषणा हुई, जिससे अफरा-तफरी मच गई।
एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि भगदड़ की शुरुआत सीढ़ियों से हुई। जब लोग प्लेटफॉर्म बदलने के लिए आगे बढ़े, तो पुल पर अचानक भीड़ का रेला आ गया और लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे। दबाव इतना बढ़ गया कि कई यात्री नीचे गिरकर कुचले गए।
बचाव कार्य और प्रशासन की कार्रवाई
घटना के बाद दिल्ली फायर सर्विस को आपातकालीन कॉल की गई और चार फायर टेंडर तथा एंबुलेंस मौके पर भेजे गए। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की टीम भी राहत और बचाव कार्यों के लिए पहुंची। रेलवे ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए रात 12:30 बजे एक स्पेशल ट्रेन चलाई, जिससे भीड़ कम हो सकी।
रेलवे बोर्ड ने घटना की जांच के लिए दो सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति गठित की है। वहीं, प्लेटफॉर्म और सीढ़ियों पर यात्रियों के कपड़े, चप्पल, जूते और अन्य सामान बिखरे मिले, जिससे हादसे की भयावहता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
प्रत्यक्षदर्शियों की दर्दनाक आपबीती
कापसहेड़ा निवासी एक व्यक्ति ने बताया कि वह परिवार के साथ छपरा जा रहे थे। भगदड़ में उनकी मां गिर गईं और दम घुटने से उनकी मौत हो गई। एक अन्य यात्री ने कहा कि उनकी बहन हादसे में दब गई थी। उन्होंने बताया, “मैंने उसे बचाने की कोशिश की, लेकिन एक घंटे तक कोई मदद नहीं आई। आखिरकार, मैं उसे पटरियों के रास्ते बाहर लेकर गया, लेकिन तब तक वह दम तोड़ चुकी थी।”
फिलहाल, रेलवे और पुलिस अधिकारी स्थिति की जांच कर रहे हैं और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।