जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव 2025 नजदीक आ रहा है, सूबे की राजनीति में हलचल तेज होती जा रही है। राज्य में मुख्य मुकाबला एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) और महागठबंधन के बीच माना जा रहा था, लेकिन हालिया घटनाक्रमों ने राजनीतिक समीकरणों को और पेचदार बना दिया है।
नीतीश बनाम तेजस्वी की लड़ाई पर संशय
कुछ दिनों पहले तक ऐसा माना जा रहा था कि आगामी चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव आमने-सामने होंगे। राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं थीं कि चुनाव का प्रमुख चेहरा एनडीए से नीतीश और महागठबंधन से तेजस्वी होंगे। हालांकि, अब परिस्थितियां बदलती नजर आ रही हैं और यह सीधा मुकाबला फिलहाल तय नहीं दिख रहा है।
महागठबंधन में दरार: तेजस्वी को कांग्रेस का समर्थन नहीं
महागठबंधन के भीतर मुख्यमंत्री पद को लेकर रार मची हुई है। आरजेडी (राष्ट्रीय जनता दल) ने जहां तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया है, वहीं उसकी सहयोगी पार्टी कांग्रेस इस पर सहमत नहीं दिख रही है। कांग्रेस नेतृत्व की ओर से बार-बार यही कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री पद को लेकर फैसला चुनाव परिणामों के बाद किया जाएगा।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के दिल्ली स्थित आवास पर हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव शामिल हुए। एक घंटे चली इस बैठक के बाद जब तेजस्वी से सीएम चेहरे को लेकर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने स्पष्ट जवाब देने से परहेज किया। उन्होंने कहा, “हम आपस में बैठकर तय कर लेंगे, आप लोग क्यों परेशान हो रहे हैं।” कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु और प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने भी इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली।
एनडीए में भी सब कुछ ठीक नहीं
एनडीए खेमे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का चेहरा अभी तक सामने बना हुआ है। जेडीयू (जनता दल यूनाइटेड) और बीजेपी के अधिकतर नेता नीतीश को ही सीएम कैंडिडेट मानते आ रहे हैं। लेकिन बीजेपी की ओर से समय-समय पर कुछ ऐसे बयान आ रहे हैं, जो जेडीयू की चिंता बढ़ा रहे हैं।
हाल ही में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने एक कार्यक्रम में कहा कि “सम्राट चौधरी के नेतृत्व में हम बिहार चुनाव जीतेंगे।” इस कार्यक्रम में बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी भी मौजूद थे। इस बयान के बाद जेडीयू के खेमे में बेचैनी बढ़ गई। पार्टी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बीजेपी पहले ही नीतीश को सीएम उम्मीदवार घोषित कर चुकी है, फिर ऐसे बयानों का क्या औचित्य?
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने इस बयान पर सफाई देते हुए कहा कि नायब सैनी का इरादा कुछ और था और बयान को गलत तरीके से पेश किया गया। हालांकि, सम्राट चौधरी का नाम उछलने के बाद जेडीयू के सीनियर नेता और नीतीश के करीबी मंत्री विजय चौधरी ने मुख्यमंत्री आवास जाकर नीतीश से लंबी चर्चा की। माना जा रहा है कि यह बातचीत बीजेपी के हालिया बयानों को लेकर हुई।
सियासी तस्वीर अब भी धुंधली
वर्तमान स्थिति में दोनों ही गठबंधनों में मुख्यमंत्री पद को लेकर स्पष्टता नहीं है। जहां महागठबंधन में कांग्रेस तेजस्वी यादव के नाम पर खुलकर समर्थन नहीं दे रही है, वहीं एनडीए में बीजेपी की ओर से बार-बार आ रहे संकेत जेडीयू की चिंता का कारण बन रहे हैं।
राजनीतिक जानकारों की मानें तो कांग्रेस अपने दबाव की राजनीति के तहत अभी सीएम कैंडिडेट पर चुप है, ताकि सीटों के बंटवारे में अपना प्रभाव बना सके। उचित सीटें मिलने के बाद वह तेजस्वी के नाम पर सहमति जता सकती है।
उधर, एनडीए में भी भले ही सार्वजनिक रूप से नीतीश कुमार को चेहरा बताया जा रहा हो, लेकिन अंदरूनी राजनीति में कुछ और ही खिचड़ी पक रही है।
निष्कर्षतः, बिहार में इस बार का चुनाव पहले की तरह सीधा मुकाबला नहीं रह गया है। राजनीतिक दलों के अंदर चल रही खींचतान और दावेदारों के बीच मतभेदों ने चुनावी तस्वीर को और उलझा दिया है। अब देखना यह होगा कि कौन-सा गठबंधन पहले स्पष्ट रणनीति के साथ सामने आता है और जनता के सामने भरोसेमंद चेहरा पेश करता है।