ग्रेटर नोएडा।
भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान राफेल और मिराज-2000 की मरम्मत और रखरखाव का कार्य नोएडा के निकट किया जाएगा। फ्रांसीसी विमान निर्माता कंपनी डसॉल्ट इन लड़ाकू विमानों के लिए नोएडा के निकट एमआरओ यानी रखरखाव, मरम्मत और ओवरहॉल सुविधा केंद्र स्थापित करेगी। इस केंद्र को छह महीने के अंदर धरातल पर उतारने का दावा किया जा रहा है। इसके अलावा जेवर में एयरपोर्ट के पास भी कॉमर्शियल विमानों के लिए एमआरओ हब प्रस्तावित है।
सूत्रों ने बताया कि डसॉल्ट की नई इकाई डसॉल्ट एविएशन मेंटेनेंस, रिपेयर एंड ओवरहाल इंडिया (डीएएमआरओआई) का परिचालन छह महीने के भीतर शुरू होने की उम्मीद है। यह धीरे-धीरे अपनी गतिविधियों का विस्तार करेगी। डसॉल्ट में पहले अपनी सेवा दे चुके पोसिना वेंकट राव को नई इकाई का सीईओ नियुक्त किया गया है।
बता दें कि भारतीय वायुसेना 36 राफेल और 50 मिराज-2000 विमानों के बेड़े का संचालन करती है। इसके अलावा भारत 26 राफेल समुद्री विमानों के लिए फ्रांस के साथ एक सौदे पर बातचीत कर रहा है, जिन्हें आईएनएस विक्रांत पर तैनात किया जाना है। समुद्र में निरंतर युद्ध संचालन के लिए बनाए गए दो इंजन वाले डेक-आधारित फ्रांसीसी लड़ाकू विमानों का सौदा लगभग 50 हजार करोड़ रुपये में होने का अनुमान है।
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट परिसर में भी एमआरओ (मेंटेनेंस, रिपेयर एंड ओवरहॉल) हब को विकसित किया जाना है। एयरपोर्ट का निर्माण कर रही ज्यूरिख कंपनी ने इसके लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) निकाली है और एमआरओ बनाने वाली कंपनियों से आवेदन मांगे हैं। एयरपोर्ट के पास दो एमआरओ हब बनाए जाएंगे।
वर्तमान में दूसरे देशों पर निर्भरता
वर्तमान में भारत की एमआरओ के लिए दूसरे देशों पर निर्भरता है। देश में 713 एयरक्राफ्ट हैं। वर्ष 2031 तक इनकी संख्या बढ़कर 1522 हो जाएगी। इनके लिए मेंटेनेंस लागत कुल राजस्व की 12 से 15 प्रतिशत तक होती है। ऐसे में एयरपोर्ट परिसर और आसपास एमआरओ हब बनने की योजना तैयार हुई है। इसके बनने के बाद अमेरिका, चीन और सिंगापुर पर निर्भरता खत्म हो जाएगी।