आज 6 अप्रैल है और आज चैत्र नवरात्रि का नवां और अंतिम दिन है। नवरात्रि के इस पावन अवसर पर मां दुर्गा के नवम स्वरूप मां सिद्धिदात्री की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है। मां सिद्धिदात्री को सिद्धि और मोक्ष की देवी कहा गया है। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से मां की उपासना करते हैं, उन्हें यश, बल, धन और सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
शास्त्रों के अनुसार सभी देवी-देवताओं को भी अपनी शक्तियां मां सिद्धिदात्री से ही प्राप्त हुई हैं। भगवान शिव ने भी इनकी तपस्या की थी और मां की कृपा से ही उनका आधा शरीर देवी रूप में परिवर्तित हो गया, जिससे वे अर्धनारीश्वर कहलाए।
पूजा विधि (6 अप्रैल के लिए)
आज मां सिद्धिदात्री की पूजा इस विधि से करें:
- प्रातःकाल स्नानादि कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- मां की प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं।
- उन्हें सफेद वस्त्र अर्पित करें, क्योंकि सफेद रंग मां को अत्यंत प्रिय है।
- सफेद पुष्प अर्पित करें।
- मां को रोली-कुमकुम लगाएं और मिष्ठान, पंचमेवा व फल चढ़ाएं।
- मां को नवरस युक्त भोजन, नौ प्रकार के पुष्प और नौ प्रकार के फल अर्पित करें।
- विशेष रूप से मौसमी फल, चना, पूड़ी, खीर, नारियल और हलवा का भोग लगाएं।
- मां का ध्यान करें और आरती करें।
कन्या पूजन का विशेष महत्व
आज नवमी के दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व है। 2 से 10 वर्ष की कन्याओं को देवी स्वरूप मानकर उनका पूजन करें, उन्हें भोजन करवाएं और उपहार दें। यह न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि मां सिद्धिदात्री को प्रसन्न करने का श्रेष्ठ उपाय भी है।
मां सिद्धिदात्री का बीज मंत्र
ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नमः
इस मंत्र का जाप करने से साधक को मानसिक, आध्यात्मिक और सांसारिक सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
मां सिद्धिदात्री की आरती
जय सिद्धिदात्री मां, तू सिद्धि की दाता।
तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।
जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।
तू जगदम्बे दाती तू सर्व सिद्धि है।
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।
तू सब काज उसके करती है पूरे।
कभी काम उसके रहे ना अधूरे।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।
रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।
जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।