नई दिल्ली:पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने निर्णायक जवाब देते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में बड़ी सैन्य कार्रवाई को अंजाम दिया। इस ऑपरेशन में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) जैसे प्रतिबंधित आतंकी संगठनों के कई शीर्ष कमांडर ढेर कर दिए गए। रक्षा मंत्रालय ने इनमें से पांच प्रमुख आतंकियों की पहचान सार्वजनिक की है।
मुदस्सर खडियान खास उर्फ अबू जिंदाल
लश्कर-ए-तैयबा के इस शीर्ष आतंकी के पास मुरिदके स्थित मरकज तैबा की कमान थी। उसके मारे जाने के बाद पाकिस्तानी सेना ने पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया। गार्ड ऑफ ऑनर, पाकिस्तानी सेना प्रमुख की पुष्पांजलि और मुख्यमंत्री मरियम नवाज की मौजूदगी ने यह संकेत दिया कि पाकिस्तान की सत्ता आतंकियों के कितने करीब है। जनाज़े की नमाज सरकारी स्कूल में पढ़ाई गई, जिसका नेतृत्व लश्कर नेता हाफिज अब्दुल रऊफ ने किया।
हाफिज मुहम्मद जमील
जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा यह आतंकी मसूद अजहर का साला था। बहावलपुर स्थित मरकज सुब्हान अल्लाह का प्रभारी था और मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथ की राह पर धकेलने व फंडिंग जुटाने में माहिर था।
मोहम्मद यूसुफ अजहर
एक और खूंखार आतंकी और मसूद अजहर का साला, यूसुफ जैश-ए-मोहम्मद में हथियार प्रशिक्षण का मास्टरमाइंड था। जम्मू-कश्मीर में कई आतंकी वारदातों में शामिल रहा और वर्ष 1999 के IC-814 विमान अपहरण मामले में वांछित था।
खालिद उर्फ अबू आकशा
लश्कर-ए-तैयबा का यह आतंकी जम्मू-कश्मीर में हुए कई बड़े हमलों में संलिप्त था। अफगानिस्तान से हथियारों की तस्करी भी इसका नेटवर्क संभालता था। फैसलाबाद में हुए इसके अंतिम संस्कार में पाक सेना के वरिष्ठ अफसर और स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे।
मोहम्मद हसन खान
जैश-ए-मोहम्मद के PoK ऑपरेशनल कमांडर मुफ्ती असगर खान कश्मीरी का पुत्र, हसन जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों के समन्वय में अत्यंत सक्रिय था। भारतीय सेना की कार्रवाई में इसका खात्मा सुरक्षा बलों की बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ को भारत की ओर से एक स्पष्ट संदेश के रूप में देखा जा रहा है—आतंक के हर आक़ा को उसकी ज़मीन पर जाकर निशाना बनाया जाएगा। इस अभियान ने पाकिस्तान के उस झूठे आवरण को भी उजागर कर दिया है, जिसके पीछे वह आतंकियों को शरण देता आया है।