डेस्क:सिनेमाघरों में खुले रूप में बिकने वाले पॉपकॉर्न पर रेस्टोरेंट की तरह ही 5 प्रतिशत की दर से माल एवं सेवा कर (जीएसटी ) लगता रहेगा। सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अगर पॉपकॉर्न को मूवी टिकट के साथ मिलाकर बेचा जाता है, तो आपूर्ति को कंपोजिट सप्लाई माना जाएगा और उस पर मुख्य सप्लाई यानी टिकट की लागू दर के अनुसार कर लगाया जाएगा।
जीएसटी परिषद की 55वीं बैठक में पॉपकॉर्न पर जीएसटी लागू होने के बारे में स्पष्टीकरण दिया गया, क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार ने नमक और मसालों के साथ मिश्रित पॉपकॉर्न पर लागू वर्गीकरण और जीएसटी दर को स्पष्ट करने का अनुरोध किया था। पॉपकॉर्न पर जीएसटी दर में कोई वृद्धि नहीं की गई है।
उत्तर प्रदेश सराकार ने किया था अनुरोध
जीएसटी परिषद की 55वीं बैठक में पॉपकॉर्न पर जीएसटी को स्पष्ट किया गया था। दरअसल, नमक और मसालों वाले पॉपकॉर्न पर लागू वर्गीकरण और जीएसटी दर को स्पष्ट करने के लिए उत्तर प्रदेश से अनुरोध मिला था। पॉपकॉर्न पर जीएसटी दर में कोई वृद्धि नहीं की गई है।
सूत्रों के अनुसार, पॉपकॉर्न को सिनेमा घरों में खुले रूप में बेचा जाता है, और इसलिए इसपर ‘रेस्टोरेंट सर्विस’ के समान पांच प्रतिशत की दर लागू होती रहेगी। हालांकि, इसके लिए पॉपकॉर्न की स्वतंत्र रूप से आपूर्ति करनी होगी।
पॉपकॉर्न नमकीन के रूप में वर्गीकृत
जीएसटी के तहत नमक और मसालों वाले पॉपकॉर्न को नमकीन के रूप में वर्गीकृत किया जाता है और इसपर पांच प्रतिशत टैक्स लगता है। जब इसे पहले से पैक और लेबल के साथ बेचा जाता है, तो दर 12 प्रतिशत होती है। कुछ वस्तुओं को छोड़कर सभी चीनी कन्फेक्शनरी पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है, और इसलिए कारमेलाइज चीनी वाले पॉपकॉर्न पर 18 प्रतिशत की दर से जीएसटी लागू है।
खाद्य पदार्थों सहित सभी वस्तुओं को हार्मोनाइज्ड सिस्टम (HS) वर्गीकरण के अनुसार जीएसटी के तहत वर्गीकृत किया जाता है, जो विश्व सीमा शुल्क संगठन (WCO) द्वारा विकसित एक बहुउद्देशीय अंतरराष्ट्रीय माल नामकरण है। इस प्रणाली का उपयोग 200 से अधिक देशों द्वारा किया जाता है, जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के 98 प्रतिशत से अधिक को कवर करता है। अलग-अलग जीएसटी दरें केवल एचएस प्रणाली के विभिन्न अध्यायों के तहत वस्तु के वर्गीकरण के परिणामस्वरूप हैं।