भारत के खिलाफ युद्ध की धौंस और गीदड़भभकियों के बावजूद पाकिस्तान की अंदरूनी स्थिति बहुत कमजोर है, और यह उसकी आर्थिक स्थिति से साफ नजर आता है। आज पाकिस्तान का कर्ज इतनी तेजी से बढ़ चुका है कि किसी भी युद्ध की स्थिति में उसे अपने आर्थिक ढांचे को संभालने में मुश्किलें आ सकती हैं। यहां हम पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, शहबाज शरीफ और इमरान खान के कार्यकाल की चर्चा करेंगे और देखेंगे कि इन नेताओं ने पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को सुधारने के नाम पर क्या कदम उठाए और क्या नतीजे सामने आए।
पाकिस्तान का बढ़ता कर्ज
पाकिस्तान के पास आज इतना भारी कर्ज है कि युद्ध जैसी स्थिति में यह देश आर्थिक संकट से जूझने के अलावा ज्यादा समय तक टिक नहीं पाएगा। ग्लोबल इकोनॉमिक डेटा के अनुसार, दिसंबर 2024 तक पाकिस्तान पर लगभग $131 बिलियन का बाहरी कर्ज है, जो देश की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का करीब 35% है। यह कर्ज पाकिस्तान के तीन प्रमुख नेताओं—नवाज शरीफ, इमरान खान और शहबाज शरीफ—के शासनकाल में कई गुना बढ़ा है।
नवाज शरीफ का कार्यकाल (2013-2017)
नवाज शरीफ के प्रधानमंत्री बनने के बाद पाकिस्तान ने कई प्रमुख देशों और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से कर्ज लिया। उनका कार्यकाल आर्थिक दृष्टि से पाकिस्तान के लिए चुनौतीपूर्ण था, खासकर चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के लिए कर्ज लेने के कारण। नवाज शरीफ के समय पाकिस्तान का कुल कर्ज $60.6 बिलियन तक पहुंच गया था, जिसमें IMF, चीन और अन्य देशों से लिया गया कर्ज शामिल था। उनकी नीतियों ने पाकिस्तान के आर्थिक संकट को और बढ़ाया, लेकिन उन्हें वैश्विक स्तर पर भारी कर्ज के बोझ तले दबने का सामना करना पड़ा।
इमरान खान का कार्यकाल (2018-2022)
इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने के बाद पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति और भी खराब हो गई। उनकी सरकार ने कर्ज लेने की गति को और तेज किया, खासकर IMF और सऊदी अरब से। इमरान खान ने अपने कार्यकाल में कई प्रयास किए, लेकिन इसके बावजूद पाकिस्तान का कर्ज $100 बिलियन तक पहुंच गया। इमरान खान की सरकार की नीतियों के कारण पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति और भी बिगड़ी, जिससे उसे बाहरी मदद की जरूरत अधिक महसूस हुई।
शहबाज शरीफ का कार्यकाल (2022-2025)
शहबाज शरीफ की सरकार ने पाकिस्तान के कर्ज को स्थिर करने के लिए कई कड़े उपायों की शुरुआत की, लेकिन देश को फिर भी भारी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा। शहबाज के प्रधानमंत्री बनने के बाद पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति और गिरावट आई। उनकी सरकार को पिछले सरकारों द्वारा लिए गए कर्ज का बोझ भी ढोना पड़ा, जिसके कारण पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति और कमजोर हुई। शहबाज शरीफ के कार्यकाल में पाकिस्तान का कर्ज $131 बिलियन तक पहुंच चुका है, जो देश की आर्थिक अस्थिरता को उजागर करता है।
निष्कर्ष
इन तीनों प्रमुख नेताओं ने पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को सुधारने के नाम पर कई कदम उठाए, लेकिन उनकी नीतियों के कारण देश की आर्थिक स्थिति और बिगड़ी। पाकिस्तान का बढ़ता हुआ कर्ज यह दर्शाता है कि देश की अर्थव्यवस्था किसी भी युद्ध या संकट की स्थिति में संभलने की स्थिति में नहीं है। अगर पाकिस्तान अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए ठोस और स्थिर नीतियां नहीं अपनाता, तो वह भविष्य में और भी बड़ी मुश्किलों का सामना कर सकता है।