वॉशिंगटन:अमेरिकी रक्षा खुफिया एजेंसी (DIA) की ताज़ा वर्ल्ड थ्रेट असेसमेंट रिपोर्ट ने एक बार फिर पाकिस्तान की परमाणु नीतियों और चीन से उसके सैन्य संबंधों को लेकर गंभीर चिंताएं जताई हैं। रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान न सिर्फ अपनी परमाणु ताकत को तेज़ी से अपग्रेड करने में जुटा है, बल्कि इसके लिए उसे चीन से तकनीकी और आर्थिक मदद भी मिल रही है।
रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि पाकिस्तान, भारत को अपनी सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा मानता है और इसी सोच के तहत वह अपनी सैन्य तैयारियों, विशेषकर परमाणु हथियारों और उनके नियंत्रण प्रणाली, को लगातार मजबूत कर रहा है। इसके लिए पाकिस्तान विदेशी सप्लायर्स और बिचौलियों की मदद से संवेदनशील परमाणु तकनीक और उपकरण जुटा रहा है।
परमाणु सामग्री चीन से, रास्ता हांगकांग, तुर्की और यूएई से
रिपोर्ट का सबसे चौंकाने वाला दावा यह है कि पाकिस्तान को बड़े पैमाने पर विनाशकारी हथियारों के निर्माण में इस्तेमाल होने वाला सामान और तकनीक चीन से मिल रही है। यह सामग्री हांगकांग, सिंगापुर, तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों के रास्ते पाकिस्तान पहुंचाई जा रही है। इसके बावजूद, हाल के महीनों में चीन-पाकिस्तान संबंधों में खटास भी आई है — विशेष रूप से पाकिस्तान में चीनी नागरिकों पर हुए आतंकी हमलों की वजह से। फिर भी, चीन आज भी पाकिस्तान का सबसे बड़ा सैन्य उपकरण सप्लायर बना हुआ है।
भारत-पाक संघर्ष और युद्धविराम का जिक्र
रिपोर्ट में अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले और उसके बाद भारत द्वारा पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर की गई जवाबी मिसाइल कार्रवाइयों का भी उल्लेख है। यह भी बताया गया कि 7 से 10 मई तक भारत और पाकिस्तान के बीच सीमित युद्ध जैसा माहौल बना रहा, जिसमें मिसाइल, ड्रोन और भारी तोपखानों का प्रयोग किया गया। अंततः 10 मई को दोनों देशों ने युद्धविराम पर सहमति जताई।
भारत-चीन संबंध: सामरिक साझेदारी और सीमा तनाव
रिपोर्ट भारत-चीन संबंधों पर भी रोशनी डालती है। इसमें बताया गया है कि भारत, हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी रक्षा साझेदारियों को सशक्त कर रहा है ताकि चीन के बढ़ते प्रभाव का संतुलन बनाया जा सके। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव के बावजूद, दोनों देशों ने कुछ संवेदनशील बिंदुओं से सैन्य वापसी पर सहमति जताई है। हालांकि, सीमा विवाद का दीर्घकालिक समाधान अब भी अधूरा है।
विश्लेषण
यह रिपोर्ट न केवल पाकिस्तान की परमाणु नीति के पीछे के रणनीतिक इरादों को उजागर करती है, बल्कि भारत-चीन-पाकिस्तान त्रिकोणीय संबंधों के वर्तमान स्वरूप और भविष्य की चुनौतियों की भी झलक देती है। वैश्विक शक्ति संतुलन के इस खेल में भारत की भूमिका अब और भी निर्णायक होती जा रही है।