15 अगस्त 2021 को तालिबान ने एक बार फिर काबुल पर कब्जा कर लिया था और अशरफ गनी की सरकार को उखाड़ फेंका था। दुनिया भर के देशों ने इसकी निंदा की लेकिन पाकिस्तान ने खुले तौर पर तालिबान की तारीफ की। पाकिस्तान के तत्कालीन पीएम इमरान खान ने कहा था कि अफगान लोगों ने गुलामी की बेड़ियों को तोड़ दिया है। इमरान सरकार के एक मंत्री ने तो यहां तक कहा कि भारत को स्वतंत्रता दिवस का गिफ्ट मिला है।
पाकिस्तान ने तालिबान की लगातार मदद की है। रिपोर्ट्स के मुताबिक 9/11 हमले के बाद जब अमेरिका अफगानिस्तान पहुंचा उस वक्त पाकिस्तान ने अमेरिका का समर्थन किया बावजूद इसके पाकिस्तान ने तालिबान का साथ दिया। भारत द्वारा गैर-तालिबानी धड़े के सहयोगी बनने के बाद पाकिस्तान और तालिबान और नजदीक आरे गए। अब तालिबान के हाथ में सत्ता है लेकिन तालिबान और पाकिस्तान के बीच संबंध बिगड़ते जा रहे हैं।
पाकिस्तान द्वारा हाल ही में कुनार और खोस्त प्रदेश में किए गए हवाई हमलों में 20 बच्चों सहित 50 लोग मारे गए थे। इसके बाद तालिबान ने पाकिस्तान को युद्ध की चेतावनी दे दी। इस घटना के पहले भी तालिबानी लड़ाके और पाकिस्तान के सैनिक बॉर्डर क्षेत्र में लड़ते रहे हैं और कई लोगों की मौत हुई है। तालिबान ने साफ कहा है कि हम पाकिस्तान के अगले आक्रमण को बर्दाश्त नहीं करेंगे।
जब अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हुआ तो इस्लामाबाद ने सोचा कि तालिबान पाकिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान (TTP) को कंट्रोल करने की कोशिश करेगा लेकिन इसके उलट तालिबान TTP को सपोर्ट कर रहा है। यही कारण है कि TTP ने पाकिस्तान में हमले तेज कर दिए हैं। इंडिया टुडे की रिपोर्ट मुताबिक जनवरी 2022 से अब तक TTP के 128 लड़ाके मारे गए हैं और 100 से अधिक पाक सैनिकों की मौत हुई है।
डूरंड लाइन को लेकर अफगानिस्तान और पकिस्तान के बीच विवाद है और तालिबान के सत्ता में आने के बाद यह विवाद और गहराता गया है। पाकिस्तान द्वारा बॉर्डर पर बाड़ लगाए जाने को लेकर तालिबान ने नाराजगी जताई लेकिन पाकिस्तान ने बाड़ लगाना जारी रखा जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच कई झड़प हो चुके हैं।
अफगानिस्तान में पाकिस्तान विरोधी भावनाएं भी बढ़ती जा रही हैं क्योंकि कई लोग इस्लामाबाद द्वारा अफगानिस्तान को अस्थिर रखने के तौर पर देखते हैं। हाल के दिनों में कई बार कई जगह अफगानिस्तान में पाकिस्तान के विरोध में प्रदर्शन हुए हैं।
अमेरिकी वापसी का प्रभाव
अरबों-अरब रुपये खर्च करने और हजारों सैनिकों की जान गंवाने के बाद अमेरिका ने काबुल छोड़ा था। पाकिस्तान में TTP इसे अपने हिसाब से देख रही है। अमेरिकी फौज के लौटने के बाद से TTP का हौसला बढ़ा है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट बताती है कि 2022 के पहले तीन महीने में आतंकियों ने 52 बार हमले किए हैं जिसमें 150 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
राजनीतिक अस्थिरता
इमरान खान के तालिबान से घनिष्ठ संबंध रहे हैं। इमरान अमेरिका विरोधी बयानबाजी कर रहे हैं तो नए पीएम शाहबाज शरीफ ने अमेरिका से संबंध सुधारने की बात कही है। इमरान सरकार ने TTP के साथ संघर्ष विराम समझौता भी किया था लेकिन यह सफल नहीं रहा। शाहबाज शरीफ ने कहा है कि वह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ते रहेंगे। ऐसे में देखना होगा कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के संबंध किस ओर जाएंगे।