आज से नवरात्र का शुभारंभ हो रहा है। नवरात्र के नौ दिनों में देवी के नौ स्वरूपों की पूजा होती है। नवरात्र के नौ दिनों में सभी शक्तिपीठों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। नवरात्र में शक्तिपीठ के दर्शन पूजा का विशेष महत्व है। दुनिया में कुल 51 शक्तिपीठ है भारत के अलावा बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल, तिब्बत और श्रीलंका में भी शक्तिपीठ स्थित है।
कुछ शक्तिपीठ भारत के पड़ोसी मुल्क में स्थित है। बांग्लादेश में सबसे अधिक 4 शक्तिपीठ है। पाकिस्तान में हिंगलाज ,बांग्लादेश में सुगंधा देवी शक्तिपीठ, चट्टल भवानी, जेशोरश्वेरी ,करतोयाघाट शक्तिपीठ मौजूद है। इसके अलावा नेपाल में दो – मुक्तिधाम मंदिर, गुह्येश्वरी शक्तिपीठ है। वहीं श्रीलंका में- इंद्राक्षी शक्तिपीठ और तिब्बत में मानस शक्तिपीठ मौजूद है।
हिंगलाज मंदिर -पाकिस्तान का हिंगलाज मंदिर विश्व भर में प्रसिद्ध है। पाकिस्तान का हिंगलाज शक्तिपीठ बलूचिस्तान में हैं ऐसी मान्यता है कि पाकिस्तान के हिंगलाज मंदिर में माता सती का सिर कटकर गिरा था। मां सती के इस शक्तिपीठ को ‘नानी का मंदिर’ या ‘नानी का हज’ के नाम से भी पुकारा जाता है।
जेशोरश्वेरी काली मंदिर – बांग्लादेश में सबसे अधिक 4 शक्तिपीठ है साल 2017 में बांग्लादेश के जेशोरश्वेरी काली मंदिर में देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी माता के दर्शन करने गए थे। प्रधानमंत्री ने माता के दरबार में सोने का मुकुट भी चढ़ाया था।
मुक्तिधाम मंदिर- नेपाल के गंडक नदी के तट पर पोखरा नाम की एक जगह है कहा जाता है कि वहां देवी सती के कान का बाहरी हिस्सा कट कर गिरा था। लोगों की ऐसी मान्यता है कि गंडक नदी में स्नान करने के बाद यदि कोई व्यक्ति माता के दरबार में जाकर उनके दर्शन कर लेता तो वो सभी प्रकार के पापों से मुक्त हो जाता है।
मनसा शक्तिपीठ- तिब्बत में मनसा देवी शक्तिपीठ स्थित है पुराणों के अनुसार वहां देवी सती की बाई हाथ की हथेली गिरी थी।