हर महीने पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है, और पौष पूर्णिमा का दिन मां लक्ष्मी को समर्पित माना गया है। इस दिन मां लक्ष्मी, भगवान विष्णु और चंद्र देव की पूजा करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि पौष पूर्णिमा के दिन सही विधि और श्रद्धा से पूजा-अर्चना करने पर सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। आइए जानते हैं पौष पूर्णिमा के शुभ मुहूर्त और पूजा-विधि के बारे में।
पौष पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष पौष पूर्णिमा 13 जनवरी को मनाई जाएगी।
- तिथि प्रारंभ: 13 जनवरी को शाम 05:03 बजे
- तिथि समाप्त: 14 जनवरी को शाम 03:56 बजे
उदयातिथि के महत्व को ध्यान में रखते हुए, पौष पूर्णिमा 13 जनवरी को मनाई जाएगी।
पौष पूर्णिमा पूजा-विधि
- पवित्र स्नान:
- पवित्र नदी में स्नान करें या स्नान के जल में गंगाजल मिलाएं।
- भगवान का अभिषेक:
- भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का जल और पंचामृत से अभिषेक करें।
- माता लक्ष्मी का श्रृंगार:
- मां लक्ष्मी को लाल चंदन, लाल फूल, और श्रृंगार सामग्री अर्पित करें।
- दीप प्रज्वलन:
- मंदिर में घी का दीपक जलाएं।
- व्रत का संकल्प:
- यदि संभव हो तो इस दिन व्रत रखें और व्रत का संकल्प लें।
- व्रत कथा का पाठ:
- पौष पूर्णिमा व्रत कथा और श्री लक्ष्मी सूक्तम का पाठ करें।
- आरती और भोग:
- पूरी श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आरती करें।
- माता लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं।
- चंद्र देव को अर्घ्य:
- चंद्रोदय के समय चंद्र देव को अर्घ्य अर्पित करें।
- क्षमा प्रार्थना:
- अंत में भगवान से जाने-अनजाने में हुई भूलों के लिए क्षमा याचना करें।
गंगा स्नान का महत्व
पौष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान और दान का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु स्वयं गंगाजल में निवास करते हैं। गंगा स्नान करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है।
पौष पूर्णिमा के विशेष कार्य
- गंगा स्नान और दान करना।
- चंद्र देव और मां लक्ष्मी की पूजा।
- व्रत रखकर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आराधना करना।
इस पौष पूर्णिमा पर श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजा-अर्चना करें और अपने जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का अनुभव करें।