जयपुर:राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के डिनर से पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने दूरी बना ली। हालांकि, पायलट कैंप से जुड़े विधायक और मंत्री डिनर शामिल हुए। भाजपा के विधायक भी डिनर में शामिल हुए है। सीएम गहलोत ने राजस्थान विधानसभा के सप्तम सत्र के समापन पर पक्ष-विपक्ष के विधायकों को मुख्यमंत्री आवास पर डिनर दिया। सीएम गहलोत विधानसभा सत्र के अंतिम दिन पक्ष-विपक्ष के विधायकों को डिनर देते रहे हैं। इसलिए इसमें राजनीति की गुंजाइश नहीं थी। लेकिन सचिन पायलट ने डिनर से दूरी बनाकर यह संकेत जरूर दे दिया है कि खटास बरकरार है। सचिन पायलट दो साल से बिना किसी पद के है।
15 वीं विधानसभा का सप्तम सत्र 9 फरवरी से शुरू हुआ था। बजट सत्र में 58 दिन में इस बार कुल 25 बैठकें हुई थी। आज विधानसभा की कार्यवाही 11 बजे प्रश्नकाल के साथ शुरू हुई। जिसमें चिकित्सा, स्वास्थ्य, खाद्य, उद्योग, जल संसाधन, सहकारिता, परिवहन और पशुपालन से जुड़े 24 तारांकित प्रश्नों के जवाब मंत्रियों की ओर से दिए गए। साथ ही आज 7 ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जरिए जनता से जुड़े प्रमुख मुद्दों को उठाया गया। गजट नोटिफिकेश जारी कर 28 मार्च को शाम 5 बजकर 54 मिनट पर विधानसभा अनिश्चिकाल के लिए स्थगित कर दी गई।
गहलोत सरकार के खिलाफ पिछले साल पायलट गुट ने बगावत कर दी थी। तभी से सीएम गहलोत और सचिन पायलट के मन में खटास बरकार है। गहलोत कैबिनेट के विस्तार में पायलट गुट से जुड़े विधायकों को तवज्जों मिली। राजनीतिक नियुक्तियों में भी पायलट समर्थकों को एडजस्ट किया। लेकिन सचिन पायलट को पीसीसी चीफ के पद हटाने के बाद कोई पद नहीं मिला है। पायलट समर्थक कांग्रेस आलाकमान से चाहते है कि उन्हें सम्मानजनक पद दिया जाए। सचिन पायलट राजस्थान छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। ऐसे में चर्चा है कि कांग्रेस आलाकमान सचिन पायलट को एक बार फिर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप सकता है। सचिन पायलट के पीसीसी चीफ रहते ही कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी।