दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर के बाहर बुधवार को तोड़-फोड़ हुई। आरोप है कि बीजेपी युवा मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने ये तोड़फोड़ की है। कुछ युवकों ने बैरिकेड तोड़ कर बूम बैरियर एवं सीसीटीवी कैमरे को भी नुकसान पहुंचाया। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। वैसे यह पहली बार नहीं है जब सीएम केजरीवाल की सुरक्षा में सेंध लगी हो, इससे पहले भी कई बार उनकी सुरक्षा में सेंध लग चुकी है।
इसके पहले कब-कब हुआ ऐसा हुआ…
2011 : मुख्यमंत्री बनने से पहले 2011 में अरविंद केजरीवाल पर पहली बार हमला हुआ था।
2013 : दिल्ली के अरविंद केजरीवाल पर एक व्यक्ति ने स्याही फेंक दी थी। उस दौरान पुलिस ने तुरंत आरोपी को पकड़ लिया था।
2014 : हरियाणा के भिवानी में मार्च महीने में केजरीवाल के रोड शो के दौरान एक युवक ने मुख्यमंत्री की गर्दन पर हमला किया था।
2014 : अप्रैल महीने में दिल्ली में रोड शो कर रहे अरविंद केजरीवाल पर फिर से हमले करने की कोशिश हुई थी। इस दौरान आरोपी हमला करने में सफल नहीं हो पाया था। केजरीवाल समर्थकों ने उसे पकड़ लिया था।
2014 : अप्रैल महीने में ही दिल्ली के सुल्तानपुरी में अरविंद केजरीवाल पर एक शख्स ने हमला किया। आरोपी ऑटो ड्राइवर था और उसने केजरीवाल को थप्पड़ मारा था।
2014 : लोकसभा चुनावों के दौरान भी अरविंद केजरीवाल पर हमला हुआ। दिल्ली के बाहर भी उनके ऊपर स्याही फेंकी गई।
2016 : जनवरी महीने में भावना अरोड़ा नाम की महिला ने केजरीवाल पर स्याही फेंकी थी।
2016 : फरवरी में लुधियाना शहर में उनकी खड़ी कार के साथ तोड़फोड़ की कोशिश की गई थी।
2018 : नवंबर महीने में दिल्ली सचिवालय में अरविंद केजरीवाल के दफ्तर के बाहर एक शख्स ने उनपर मिर्च पाउडर फेंका था।
2019 : लोकसभा चुनावों के लिए प्रचार कर रहे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर एक युवक ने उनकी जीप पर चढ़कर हमले का प्रयास किया।
2022 : मार्च महीने में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर तोड़फोड़ की कोशिश की गई। पुलिस ने कई को हिरासत में लिया।
दिल्ली के मुख्यमंत्री को जेड प्लस सुरक्षा
जेड प्लस सुरक्षा व्यवस्था में एक साथ दो पीएसओ, घर में हर एंट्री पर सुरक्षाकर्मियों की तैनाती, एक वाचर, एक स्क्रीनिंग करने वाला कर्मचारी और आगे-पीछे दो वाहन होते हैं। इसमें एक वाहन का इस्तेमाल पायलट के रूप में किया जाता है, जबकि दूसरे का स्कॉट के रूप में इस्तेमाल होता है। दोनों वाहन अमूमन दिल्ली पुलिस की जिप्सी होती हैं या फिर कभी-कभी अंबेसडर या इनोवा वाहन भी होते हैं।
नोट : इसके अलावा मुख्यमंत्री के अपने वाहन होते हैं। इसमें अमूमन इनोवा ही देखी जाती है।