डेस्क:जम्मू-कश्मीर के पाहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले में मारे गए 26 लोगों की प्रारंभिक जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और प्रशासन की संयुक्त जांच टीम ने मृतकों के कपड़ों की स्थिति देखकर गंभीर बात कही है। जांचकर्ताओं ने पाया कि 20 मृतकों की पैंटें नीचे खिसकी हुई थीं या उनकी जिप खुली थी। यह सबूत इस बात की पुष्टि करते हैं कि आतंकियों ने पहले पर्यटकों का धर्म पूछा और फिर सिर में गोली मार दी।
टाइम्स ऑफ इंडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा है कि आतंकियों ने पीड़ितों से आधार कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस जैसे पहचान पत्र मांगे, ‘कलमा’ पढ़ने को कहा और फिर उनके नीचे के कपड़े उतरवाकर खतना की जांच की। इस बर्बर तरीके से हिंदू पहचान की पुष्टि के बाद आतंकियों ने उन्हें नजदीक से गोली मार दी।
पीड़ितों के परिजन संभवतः इतने सदमे में थे कि वे शरीर पर कपड़ों की स्थिति को नहीं देख पाए। यहां तक कि कर्मचारियों ने भी शवों को वैसे ही उठाया जैसे वे थे, बस उन्हें कफन से ढक दिया। हमले में मारे गए 26 में से 25 लोग हिंदू पुरुष थे। सभी के सभी पुरुष।
इस वीभत्स नरसंहार की जांच अब तेजी से आगे बढ़ रही है। सूत्रों ने बताया कि त्राल, पुलवामा, अनंतनाग और कुलगाम जैसे इलाकों से करीब 70 आतंक समर्थक और ‘ओवरग्राउंड वर्कर्स’ से पूछताछ की जा रही है। शुरुआती जांच में करीब 1,500 लोगों को हिरासत में लिया गया था, जिनमें से अब संदेह की सुई 70 मुख्य संदिग्धों पर आकर ठहरी है। अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही असली दोषियों तक पहुंचने की उम्मीद है।
यह बर्बर कृत्य न केवल मानवता को शर्मसार करता है, बल्कि क्षेत्र में सांप्रदायिक सौहार्द के लिए भी गंभीर खतरा बन सकता है। पूरे देश में इस घटना को लेकर आक्रोश और शोक की लहर है।