डेस्क। पूर्वी लद्दाख में चल रहा भारत-चीन सीमा विवाद सुलझता हुआ नजर आ रहा है। चीन की तरफ से कहा गया है कि उसने अपनी सेना को पूर्वी लद्दाख की चार जगहों से पीछे हटा लिया है। चीन के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने गुरुवार को रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में ब्रिक्स सदस्य देशों में सुरक्षा मामलों के लिए जिम्मेदार उच्च-स्तरीय अधिकारियों की बैठक से अलग बातचीत की। इस दौरान दोनों पक्षों ने सीमा मुद्दों पर हाल के विचार-विमर्श में हुई प्रगति पर चर्चा की।
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग से शुक्रवार को प्रेस वार्ता के दौरान बताया कि दोनों सेनाओं ने चार क्षेत्रों से वापसी की है और सीमा पर स्थिति स्थिर है। हाल के वर्षों में, दोनों देशों की अग्रिम मोर्चे पर तैनात सेनाओं ने चीन-भारत सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में चार बिंदुओ से पीछे हटने का काम पूरा कर लिया है, जिसमें गलवान घाटी भी शामिल है। चीन-भारत सीमा पर स्थिति आम तौर पर स्थिर और नियंत्रण में है
विदेश मंत्री ने कल जिनेवा में कहा था की चीन के साथ सीमा विवाद 75 फीसदी सुलझा
चीनी विदेश मंत्रालय की यह टिप्पणी विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा जिनेवा में दिए गए बयान के एक दिन बाद आई है। जयशंकर ने कहा था कि चीन के साथ ‘सैनिकों की वापसी से जुड़ी समस्याओं’ का लगभग 75 प्रतिशत समाधान हो गया है, लेकिन बड़ा मुद्दा सीमा पर बढ़ता सैन्यीकरण है।
डोभाल और वांग भारत-चीन सीमा वार्ता तंत्र के लिए विशेष प्रतिनिधि
डोभाल और वांग के बीच हुई बैठक के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों ने यह विश्वास व्यक्त किया कि चीन-भारत संबंधों की स्थिरता दोनों देशों के लोगों के बुनियादी और दीर्घकालिक हित में है तथा क्षेत्रीय शांति और विकास के लिए अनुकूल है। उन्होंने कहा कि चीन और भारत ने दोनों देशों के शासनाध्यक्षों के बीच बनी सहमति को क्रियान्वित करने, आपसी समझ और विश्वास को बढ़ाने, निरंतर संवाद बनाए रखने और द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने के लिए माहौल बनाने पर सहमति जताई।
विदेश मंत्रालय बोला- हमारा रुख स्पष्ट, LAC का सम्मान हो
भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि भारत और चीन ने गुरुवार को पूर्वी लद्दाख में संघर्ष के शेष जगहों से सैनिकों की पूर्ण वापसी के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ‘तत्परता’ के साथ काम करने और अपने प्रयासों को दोगुना करने पर सहमति जताई। विज्ञप्ति में कहा गया कि बैठक में डोभाल ने वांग को बताया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थिरता तथा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के प्रति सम्मान द्विपक्षीय संबंधों में सामान्य स्थिति की वापसी के लिए आवश्यक है।
भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच मई 2020 से गतिरोध जारी है और सीमा विवाद का पूर्ण समाधान अभी तक नहीं हो पाया है। हालांकि, दोनों पक्षों ने टकराव वाले कई बिंदुओं से अपने-अपने सैनिकों को वापस बुला लिया है। जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में गिरावट आई। यह दशकों के बाद दोनों पक्षों के बीच हुआ सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था। भारत का स्पष्ट रुख है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होगी, चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते। गतिरोध को दूर करने के लिए दोनों पक्षों के बीच अब तक कोर कमांडर स्तर की 21 दौर की वार्ता हो चुकी है।