वॉशिंगटन: अपनी सरकार की “प्रतिस्परधात्मक टैरिफ नीति” की घोषणा करते हुए, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ व्यापार संबंधों को लेकर हुई बातचीत को याद किया।
ट्रंप ने कहा कि जब पीएम मोदी वाशिंगटन दौरे पर आए थे, तब उन्होंने भारत द्वारा लगाए जाने वाले ऊंचे आयात शुल्क पर बात की थी। उन्होंने याद करते हुए कहा, “आप हमें सही तरीके से ट्रीट नहीं कर रहे हैं,” यह मैंने पीएम मोदी से कहा था। अमेरिका ने अब भारत के “52 प्रतिशत” टैरिफ के जवाब में “26 प्रतिशत” शुल्क लगाने का फैसला किया है।
“भारत के टैरिफ बहुत ज्यादा हैं,” ट्रंप ने कहा। “प्रधानमंत्री मोदी मेरे अच्छे मित्र हैं, लेकिन मैंने उनसे कहा कि आप मेरे मित्र हैं, लेकिन आपने हमें सही तरीके से ट्रीट नहीं किया। भारत हमसे 52 प्रतिशत शुल्क वसूलता है, इसलिए हम भी उनके सामान पर 26 प्रतिशत शुल्क लगाएंगे।” हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि यह शुल्क किन उत्पादों पर लागू होगा।
व्हाइट हाउस के अनुसार, यह देश-विशिष्ट टैरिफ अमेरिका द्वारा सभी आयातित वस्तुओं पर लगाए जाने वाले “बेसलाइन टैरिफ” के अतिरिक्त होगा, जिसकी दर 10 प्रतिशत होगी।
व्हाइट हाउस ने कहा, “राष्ट्रीय आपातकाल और व्यापार घाटे से उत्पन्न सुरक्षा चिंताओं के कारण, अमेरिका 5 अप्रैल से सभी आयातित वस्तुओं पर 10 प्रतिशत का बेसलाइन टैरिफ लागू करेगा। वहीं, उच्च देश-विशिष्ट शुल्क 9 अप्रैल से लागू होंगे।”
राष्ट्रपति ट्रंप ने खुद को “दयालु” बताते हुए कहा, “अमेरिका अन्य देशों से केवल उतना ही शुल्क वसूलेगा जितना वे हमसे लेते हैं। यह पूरी तरह से न्यायसंगत है।”
व्हाइट हाउस के रोज गार्डन से अपनी घोषणा करते हुए ट्रंप ने कहा, “लंबे समय तक अन्य देशों ने हमें लूटा और हमारे नीतियों का फायदा उठाया, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। 2 अप्रैल को हम ‘मुक्ति दिवस’ के रूप में मनाएंगे – जब अमेरिका ने अपनी इंडस्ट्री को पुनः प्राप्त किया। अब जो देश हम पर शुल्क लगाएंगे, हम भी उन पर उतना ही शुल्क लगाएंगे – इसे ही प्रतिस्परधात्मक (रेसिप्रोकल) टैरिफ कहते हैं।”
देश-विशेष “छूटयुक्त प्रतिस्परधात्मक टैरिफ” इस प्रकार होंगे:
- चीन: 34%
- यूरोपीय संघ: 20%
- वियतनाम: 46%
- ताइवान: 32%
- जापान: 24%
- भारत: 26%
- यूके: 10%
- बांग्लादेश: 37%
- पाकिस्तान: 29%
- श्रीलंका: 44%
- इज़राइल: 17%
राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, “इस कदम से अमेरिका में नौकरियां लौटेंगी, उद्योगों को पुनर्जीवित किया जाएगा और छोटे एवं मध्यम व्यवसाय फिर से फलेंगे-फूलेंगे। अब अमेरिका फिर से समृद्ध बनेगा।”