डेस्क:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के 150वें स्थापना दिवस के अवसर पर ‘मिशन मौसम’ की शुरुआत की। देश को प्रत्येक मौसम और जलवायु का सामना करने के लिए ‘स्मार्ट राष्ट्र’ बनाने के मकसद से ‘मिशन मौसम’ की शुरुआत की गई है। राष्ट्रीय राजधानी स्थित भारत मंडपम में आयोजित समारोह में शिरकत करते हुए प्रधानमंत्री ने आईएमडी के 150वें स्थापना दिवस पर एक स्मारक सिक्का और मौसम संबंधी अनुकूलता और जलवायु परिवर्तन अनुकूलन के लिए आईएमडी विज़न-2047 दस्तावेज़ भी जारी किया। इसमें मौसम पूर्वानुमान, मौसम प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन शमन की योजनाएं शामिल हैं।
इससे पहले, प्रधानमंत्री ने भारत मंडपम में आईएमडी की उपलब्धियों पर आधारित एक प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा, “आज हम भारतीय मौसम विभाग यानी आईएमडी के 150 वर्ष का जश्न मना रहे हैं। यह केवल भारतीय मौसम विभाग की यात्रा नहीं है, यह हमारे भारत में आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भी यात्रा है।” उन्होंने कहा कि आईएमडी ने न केवल करोड़ों भारतीयों की सेवा की है, बल्कि भारत की वैज्ञानिक यात्रा का भी प्रतीक बना है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वैज्ञानिक संस्थाओं में शोध और नवोन्मेष नए भारत के मिजाज का हिस्सा है। मोदी ने कहा कि जलवायु का सामना करने के लिए भारत एक ‘स्मार्ट राष्ट्र’ बने, इसके लिए हमने ‘मिशन मौसम’ भी शुरू किया है। उन्होंने कहा, “मिशन मौसम टिकाऊ भविष्य और भविष्य की तैयारियों को लेकर भारत की प्रतिबद्धता का भी प्रतीक है।”
मिशन मौसम क्या है?
मिशन मौसम भारत के मौसम विभाग यानी IMD की भविष्यवाणी, मॉडलिंग और सूचना प्रसार की क्षमताओं को एडवांस बनाने के लिए शुरू किया गया एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है। इस मिशन के पहले दो वर्षों के लिए 2,000 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है। यह मिशन मौसम निगरानी, मॉडलिंग और पूर्वानुमान सेवाओं में भारी निवेश करेगा, जो कृषि, विमानन, रक्षा, आपदा प्रबंधन, पर्यटन और स्वास्थ्य जैसे प्रमुख क्षेत्रों को सीधे लाभ पहुंचाएगा। सरकार के एक बयान के अनुसार, मिशन मौसम का उद्देश्य देश में प्रदान की जाने वाली सभी मौसम और पूर्वानुमान सेवाओं को कवर करना है। 2012 में शुरू किए गए मिशन मॉनसून के बाद यह भारत के मौसम पूर्वानुमान तंत्र में सुधार की दिशा में दूसरा बड़ा कदम है। मिशन मॉनसून ने लंबी अवधि के मौसम पूर्वानुमान को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित किया था।
क्या है ‘मिशन मौसम’ का लक्ष्य?
‘मिशन मौसम’ का लक्ष्य अत्याधुनिक मौसम निगरानी तकनीक और सिस्टम विकसित करके, हाई-रिजॉल्यूशन वायुमंडलीय अवलोकन, अगली पीढ़ी के रडार और उपग्रहों एवं उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटरों को कार्यान्वित करते हुए उच्च स्तरीय क्षमता को हासिल करना है। यह मौसम और जलवायु प्रक्रियाओं की समझ को बेहतर बनाने, वायु गुणवत्ता डेटा प्रदान करने पर भी ध्यान केंद्रित करेगा जो लंबे समय में मौसम प्रबंधन और हस्तक्षेप की रणनीति बनाने में सहायता प्रदान करेगा।
यह मिशन कुछ मौसमीय घटनाओं को ‘प्रबंधित’ करने का भी प्रयास करेगा, जैसे मांग के अनुसार बारिश, ओले, कोहरा बढ़ाना या घटाना और बाद में बिजली गिरने की घटनाओं को नियंत्रित करना। प्रभावी मौसम संशोधन के लिए क्लाउड फिजिक्स (मेघ भौतिकी) में अनुसंधान को मजबूत करना भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगा। इस दिशा में, भारत पुणे स्थित भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) में एक उन्नत क्लाउड चेंबर स्थापित कर रहा है।
क्लाउड चेंबर क्या है?
क्लाउड चेंबर एक बंद सिलेंडर या ड्रम जैसा उपकरण है, जिसमें पानी के वाष्प और एरोसोल्स डाले जाते हैं। इसमें आर्द्रता और तापमान की वांछित स्थितियों में बादल विकसित होते हैं। पुणे में बनने वाली यह सुविधा वैज्ञानिकों को बादल की बूंदों या बर्फ के कणों के बनने वाले बीज कणों का अध्ययन करने की अनुमति देगी।
दुनिया के कई देशों में बुनियादी क्लाउड चेंबर हैं, लेकिन उनकी क्षमता सीमित है। मिशन मौसम के तहत भारत एक ऐसा क्लाउड चेंबर बनाएगा जिसमें संवहन गुण (convective properties) होंगे, जो भारतीय मानसून के बादलों का अध्ययन करने के लिए आवश्यक हैं। ऐसे संवहनीय क्लाउड चेंबर वैश्विक स्तर पर बहुत कम संख्या में हैं।
मिशन मौसम की देखरेख कौन करेगा?
मिशन मौसम का नेतृत्व पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा वित्त पोषित तीन संस्थान करेंगे:
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD)
भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान, पुणे
राष्ट्रीय मध्यम-अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र, नोएडा