नई दिल्ली:अगर आप प्रेग्नेंट हैं और कद्दू की सब्जी का नाम सुनकर नाक-मुंह बनाती हैं तो ये खबर पढ़ने के बाद आप यकीनन ऐसा नहीं कर पाएंगी। जी हां, गर्भवती महिलाओं को कंसीव करने से पहले से लेकर डिलीवरी के बाद ब्रेस्टफीडिंग करवाने तक अपने आहार का खास ख्याल रखना होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि मां की डाइट पर ही बच्चे का विकास और स्वास्थ्य निर्भर करता है। लेकिन कई बार खाने की थाली में कुछ ऐसी सब्जियां शामिल होती हैं, जो सेहत के लिहाज से बेहद फायदेमंद होती हैं लेकिन महिलाएं उन्हें खाना पसंद नहीं करती हैं। ऐसी ही सब्जी कद्दू भी है। कद्दू में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, आयरन, फाइबर जैसे कई जरूरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो मां और बच्चे दोनों की सेहत के लिए अच्छे माने जाते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं आखिर कद्दू खाने से गर्भवती महिलाओं को मिलते हैं क्या फायदे और क्या है इसे खाने का सही तरीका।
प्रेग्नेंसी में कद्दू खाने के फायदे –
कब्ज की समस्या से छुटकारा-
प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाएं अक्सर कब्ज की शिकायत करती हैं। ऐसे में कद्दू का सेवन उनके लिए फायदेमंद हो सकता है। कद्दू में मौजूद फाइबर कब्ज की समस्या को दूर करने में मदद करता है।
स्ट्रांग इम्यूनिटी
प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं, जिसकी वजह से कई बार उनकी इम्यूनिटी कमजोर होने लगती है। ऐसे में कद्दू का सेवन प्रेग्नेंट महिलाओं की इम्यूनिटी को मजबूत बनाए रखने में मदद कर सकता है।
अच्छी नींद-
गर्भावस्था के दौरान कई महिलाओं को नींद न आने की भी दिक्कत होती है। ऐसे में सोने से पहले कद्दू के बीज खाने से अच्छी नींद लेने में मदद मिल सकती है।
दिल को रखें हेल्दी-
कद्दू में मौजूद पोटेशियम प्रेग्नेंट महिलाओं के ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखने में मदद करता है। जिसकी वजह से दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी दूर रहता है।
डायबिटीज रखें कंट्रोल-
गर्भावस्था के दौरान कद्दू का सेवन करने से शरीर में इंसुलिन लेवल को कंट्रोल किया जा सकता है। जिससे जेस्टेशनल डायबिटीज नहीं होती है।
गर्भावस्था में क्या है कद्दू खाने का सही तरीका?
गर्भावस्था के दौरान प्रेग्नेंट महिला अन्य सब्जियों के साथ एक दिन में आधे कप कद्दू का सेवन कर सकती है। ध्यान रखें, कद्दू में उच्च मात्रा में फाइबर मौजूद होने की वजह से यह कई बार महिला के लिए पेट दर्द, एलर्जी, सांस फूलना, उल्टी या पेट में ऐंठन का कारण भी बन सकता है। हो सकता है। ऐसे में गर्भवती महिला की शारीरिक स्थिति को देखते हुए इस मात्रा में बदलाव किया जा सकता है। जिसके लिए महिला को एक बार अपने डॉक्टर की सलाह जरूर ले लेनी चाहिए।