सावन माह का प्रत्येक सोमवार देवाधिदेव महादेव को समर्पित है, वहीं इस माह में आने वाले मंगलवार के दिन मां पार्वती को समर्पित मंगला गौरी व्रत रखा जाता है। मां मंगला गौरी आदिशक्ति माता पार्वती का ही मंगल रूप हैं। इन्हें मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी के नाम से भी जाना जाता है। दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ाने वाले इस व्रत के प्रभाव से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। संतान प्राप्ति की कामना रखने वालों के लिए भी यह व्रत बहुत शुभफलदायी है। दांपत्य जीवन में समस्याएं हैं तो उन्हें मंगला गौरी व्रत अवश्य करना चाहिए।
इस व्रत में माता गौरी की पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि जिस घर में मंगला गौरी व्रत और पूजन होता है वहां सदैव सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस व्रत में सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। मंदिर की साफ सफ़ाई कर चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर मां गौरी की मूर्ति स्थापित करें। मां के समक्ष व्रत का संकल्प लें। आटे से बना हुआ दीपक जलाएं। इस व्रत में सभी पूजन सामग्री 16 की संख्या में होती हैं जैसे- पान, सुपारी, लौंग, इलायची, सुपारी, फल, पान, लड्डू, सुहाग की सामग्री और चूड़ियां आदि। पांच प्रकार के मेवे और सात प्रकार के अन्न भी अर्पित करें। मां की स्तुति करें और व्रत कथा सुनें। इस व्रत में एक बार अन्न ग्रहण करने का प्रावधान है। इस व्रत को विधि-विधान के साथ करने से मां मंगला गौरी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। विवाह योग्य कन्याओं को इस व्रत को करने से सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है।
इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।