रांची:झारखंड में प्रकृति पर्व सरहुल धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस खुबसूरत और मनभावन त्योहार में आदिवासी समाज ही नहीं, बल्कि आम लोग भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी राज्यवासियों को सरहुल पर्व की बधाई दी है। राज्यपाल रमेश बैस ने भी सभी राज्यवासियों को बधाई और शुभकामना देते हुए ट्वीट किया है।
दूसरी ओर सरहुल को लेकर आदिवासी समाज में खासा उत्साह का माहौल देखा जा रहा है। आदिवासी बहूल राज्य होने की वजह से यहां इस पर्व पर लगभग सभी जिलों में आपको आज के दिन पांरपरिक वेशभूषा में नाचते-गाते नजर आ जाएंगे। सरहुल में पाहन पारंपरिक मान्यताओं के हिसाब से यह भी गणना करते हैं कि आने वाले दिनों में बारिश के आसार कैसे हैं और इससे फसलों पर क्या असर पड़ेगा।
सरहुल को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी उत्साहित नजर आए। रांची के सिरमटोली स्थित कार्यक्रम स्थल पर वे करीब एक बजे पहुंचे और प्रकृति पूजा में शामिल हुए। वे वहां करीब एक घंटा रुके और आदिवासी कलाकारों के साथ मांदर और नगाड़ों की थाप पर थिरकते नजर आए। आज देर रात तक इस तरह के आयोजन राजधानी रांची सहित प्रदेश के सभी जिलों में आयोजित किये जा रहे हैं।
होगी अच्छी बारिश: प्रकृति पर्व पर पाहन ये बताते हैं कि इस बार कैसी बारिश होगी। रांची हतमा के जगलाल पाहन ने भविष्यवाणी की है कि इस बार सूबे में अच्छी बारिश होगी। उन्होंने बताया कि उत्तर दिशा की ओर बारिश ज्यादा होगी। इस अवसर पर सरना स्थल पर पांच मुर्गों की बलि दी गई। साथ ही लोगों के सुख-शांति की कामना की गई।
मेदिनीनगर में नए-नए कोमल पत्तों से भर गए सरना पेड़ (सखुआ के पेड़) के नीचे पारंपरिक रूप से सोमवार की सुबह में पूजा के साथ सरना महोत्सव का आरंभ हो गया है। पलामू प्रमंडलीय मुख्यालय सिटी सह मेदिनीनगर नगर निगम क्षेत्र के बारालोटा मुहल्ला स्थित जीएलए कॉलेज छात्रावास परिसर में आदिवासी छात्र संघ के नेतृत्व में जबकि शाहपुर मुहल्ले के बिरसा नगर में अदिकुरूख सरना समाज के नेतृत्व में सरहुल पूजा किया गया। छात्रावास परिसर में सरहुल पूजा महोत्सव के संयोजक डॉ. कैलाश उरांव आदि पाहन के नेतृत्व में पूजा किया जबकि बिरसा नगर में पाहनों की अगुवाई में सरना स्थल पर दाड़ी चुआ से जल यात्रा निकालकर बड़े ही पवित्रता, सादगी और पारंपरिक सरना विधि से पूजा किया गया। करीब दो घंटे तक पूजा कार्यक्रम चला। पूजा अनुष्ठान समापन के बाद महोत्सव की शुरुआत हो गया है। दोपहर में मेदिनीनगर सिटी में शोभायात्रा निकाली जाएगी। छात्रावास परिसर के कार्यक्रम में सीआरपीएफ और एनपीयू के अधिकारी विशेष रूप से भाग ले रहे हैं जबकि शाहपुर के कार्यक्रम में प्रशासनिक अधिकारी अतिथि के रूप में शामिल होकर प्रकृति के त्योहार को प्रोत्साहित कर रहे हैं। इस वर्ष पलामू जिले के 16 प्रखंडों के 211 गांवों एवं 26 सरना स्थलों पर सरहुल पूजा महोत्सव का आयोजन अदिकुरूख सरना समाज के नेतृत्व में किया गया है। पूजा के दौरान नए घड़े में पानी भरकर रखा गया है, जिसे आयोजन के बाद देखकर इस वर्ष के बरसात का आकलन कर आम लोगों को पाहन बताऐंगे। विशेष आयोजन जीएलए कॉलेज छात्रावास परिसर, शाहपुर, चियांकी, सतबरवा, कोडुवाडीह, जयनगरा, खुर्रा खुर्द, खाम्ही, राजहरा, चांदो, बांसडीह आदि गांव में विशेष आयोजन किया जा रहा है।
हज़ारीबाग। सरहुल को लेकर आदिवासी समाज में हर्ष का माहौल है। सरना स्थल में पाहन बंधु टोप्पो सरहुल की पूजा करा रहे हैं । घरों में लोग पारंपरिक परिधानों में दिख रहे हैं। दीपुगढ़ा स्थित संस्कृति परिसर में आदिवासी महिलाएं और लड़कियां सरहुल के मौके पर नृत्य करती दिखीं। दीपूगढ़ा परिसर स्थित संस्कृति म्यूजियम के निकट बने स्विमिंग पुल दीवारों पर बनाए गयी सोहराई गैलरी के भीतर निवासियों लड़कियों ने आदिवासी गीत के बीच नृत्य प्रस्तुत किया। सरहुल की शोभायात्रा निकाली जाएगी। फिर फूलखोंसी मनाकर पर्व का समापन होगा।