केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल ने मंगलवार को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के ऊर्जा मंत्रियों संग बैठक की। इसमें उन्होंने कोयला संसाधनों से दूर स्थित राज्यों को परमाणु आधारित पावर प्लांट स्थापित करने की सलाह दी।केंद्र सरकार की ओर से यह अपील देश में तेजी से बढ़ती बिजली की मांग को ध्यान में रखते हुए भी उठाया गया है। केंद्रीय बजट में सरकार ने छोटे पैमाने के परमाणु रिएक्टरों की स्थापना के लिए निजी निवेशकों के साथ साझेदारी की बात भी कही थी, जिससे बढ़ती ऊर्जा जरूरतें पूरी हो सकें।
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल ने कहा कि सभी राज्य व केंद्र शासित प्रदेश उन स्थानों पर परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने पर विचार करें, जहां कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांट की उम्र करीब-करीब पूरी हो आई है।केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने राज्यों से पॉवर पावर यूटिलिटीज की पहचान करने और उसे स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टिंग करने की भी सलाह दी ताकि ऊर्जा क्षेत्र में निवेश का लक्ष्य भी पूरा हो सके। मनोहर लाल ने बैठक में अक्षय ऊर्जा क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ ट्रांसमिशन प्रणाली में सुधार की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
20 गीगावॉट का है लक्ष्य
बता दें कि फिलहाल देश में 24 परमाणु ऊर्जा संयंत्र संचालित हो रहे हैं, जिनका प्रबंधन न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) द्वारा किया जाता है। NPCIL एक सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है, जो परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत आता है और इसका मुख्यालय मुंबई में स्थित है।फिलहाल, भारत की परमाणु ऊर्जा संयंत्रों से विद्युत उत्पादन क्षमता लगभग 8 गीगावॉट है। भारत का लक्ष्य इसे 2032 तक 20 गीगावॉट से अधिक तक पहुंचने का है।
भारत ने एकमात्र जी20 राष्ट्र है, जो अपने जी एमिशन लक्ष्य को तय समय से पहले पूरा करने की दिशा में काम कर रहा है। भारत का लक्ष्य है कि 2030 तक 500 गीगावॉट की अक्षय ऊर्जा ग्रिड में जोड़ी जाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2070 तक भारत को कार्बन उत्सर्जन में नेट-जीरो बनाने का भी वादा किया है।