नई दिल्ली : यूक्रेन पर हमले के बाद से पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का सामना कर रहे रूस ने दोस्त भारत से मदद की गुहार लगाई है। रूस ने भारत से अपील की है कि वह उसे ज्यादा से ज्यादा मेडिकल उपकरणों की सप्लाई करे। यूक्रेन पर हमले के बाद से पश्चिमी देशों की ओर से लगाए गए बैन और जहाजों की आवाजाही बाधित होने के चलते रूस में मेडिकल इक्विपमेंट्स की कमी पैदा हो गई है। रूस अपनी जरूरत के मेडिकल उपकरणों का ज्यादातर हिस्सा यूरोप और चीन से आयात करता रहा है। लेकिन प्रतिबंधों के चलते रूस ने सप्लाई रोक दी है, जबकि चीन भी एक्सपोर्ट करने से बच रहा है। ऐसी स्थिति में चीन ने अपने सदाबहार दोस्त भारत से मदद मांगी है।
एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के फोरम कॉर्डिनेटर राजीव नाथ ने कहा कि भारत और रूस की कंपनियां इस बारे में बात करेंगी कि कैसे मेडिकल उपकरणों की सप्लाई में इजाफा किया जाए। इस संबंध में 22 अप्रैल को वर्चुअल मीटिंग होगी। भारत और रूस के बीच संबंधों को प्रमोट करने वाले ग्रुप बिजनेस रसिया ने इस बात की पुष्टि की है। भारत की ओर से रूस को एक्सपोर्ट में इजाफा किए जाने पर विचार किया जा रहा है। दोनों देश लोकल करेंसी में डील को लेकर भी बात कर रहे हैं। शीत युद्ध के दौरान भी दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार लोकल करेंसी के जरिए ही हुआ था। एक बार फिर से उसी सिस्टम को एक्टिव करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
अमेरिकी के ऐतराज पर भारत ने दिया है करारा जवाब
बता दें कि अमेरिका की ओर से रूस से सस्ता तेल खरीदने पर भारत की कई बार आलोचना की गई है। अमेरिका ने कई बार भारत से यूक्रेन युद्ध में रूस का साथ न देने की अपील की है। हालांकि भारत ने ऐतिहासिक संबंधों और तटस्थता का हवाला देते हुए रूस की आलोचना करने से इनकार किया है। तेल की खरीद पर आपत्ति जताने से जुड़े एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पिछले दिनों जवाब देते हुए कहा था कि भारत जितना तेल रूस से एक महीने में खरीदता है, उतना तो वह यूरोप उससे एक दोपहर में ही खरीद लेता है।
भारत के लिए मौका, रूस को एक्सपोर्ट में हो सकता है 10 गुना इजाफा
फिलहाल भारत यूक्रेन युद्ध को कारोबारी लिहाज से अपने लिए एक अच्छे मौके के तौर पर देख रहा है। एक तरफ रूस से वह सस्ता तेल खरीद रहा है तो वहीं रूसी बाजार में एक्सपोर्ट बढ़ाकर कारोबारी बढ़त हासिल करने की भी कोशिश है। राजीव नाथ ने कहा कि रूस को भारत का निर्यात इस साल 2 अरब डॉलर होने की उम्मीद है, जो बीते सालों के मुकाबले 10 गुना तक ज्यादा होगा।