चंडीगढ़: पति के दफ्तर में बार-बार शिकायत देकर उसे इस्तीफे के लिए मजबूर करने वाली पत्नी को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने क्रूर मानते हुए पति को फरीदाबाद की फैमिली अदालत से मिले तलाक के आदेश के खिलाफ अपील को खारिज कर दिया।
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए पत्नी ने बताया कि उनका विवाह 1992 में यूपी के आगरा में हुआ था। उसके पति ने फैमिली कोर्ट में तलाक के लिए याचिका दाखिल करते हुए बताया था कि विवाह से उनकी 1993 में एक बेटी हुई थी। पत्नी अक्सर बेटी के सामने अपने पति को बेइज्जत करती थी। पत्नी हरियाणा हरिजन कल्याण निगम में कार्यरत है और 30 हजार का वेतन पाती है, जबकि पति ग्रेजुएट है और निजी कंपनी में कार्यरत है। पत्नी अक्सर अपने पति को कम आय का ताना देती थी।
पत्नी ने पति के खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज करवाए, जिसमें वे बरी हो गए। इसी आधार पर फैमिली कोर्ट ने पति की याचिका मंजूर करते हुए तलाक का आदेश जारी कर दिया। पत्नी ने इस आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में कहा कि उसके पति ने ही विवाह के बाद से लगातार अत्याचार किया और दहेज के लिए प्रताड़ित किया, जबकि पति ने कहा कि उसकी पत्नी ने बार-बार उसकी कंपनी में शिकायती पत्र भेजे जिसके चलते उसे इस्तीफा देना पड़ा।
हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि पत्र यह साबित करते हैं कि उनके कारण पति को अपनी आजीविका से हाथ धोना पड़ा। साथ ही बेटी के सामने बेइज्जत होना पड़ा। पत्नी की सभी आपराधिक शिकायतों में उसका पति निर्दोष साबित हुआ। पत्नी के बर्ताव के कारण उसके पति को इतना उत्पीडऩ झेलना पड़ा। ऐसे में पत्नी को पति के प्रति क्रूर मानते हुए हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश पर मोहर लगाते हुए पत्नी की अपील को खारिज कर दिया।