मुंबई। लोकसभा चुनाव में अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी के खराब प्रदर्शन के बाद महायुती की सरकार में खटपट जारी है। इसी बीच अजित पवार ने स्वीकार किया है कि उनकी पार्टी के खराब प्रदर्शन के पीछे सबसे बड़ी वजह प्याज है। पत्रकारों से पात करते हुए उपमुख्यमंत्री पवार ने कहा कि महायुती की सरकार किसानों को संतुष्ट करने वाला कोई रास्ता नहीं निकाल पाई। इससे एनडीए गठबंधन को पुणे, नासिक, नगर और सालपुर चारों जिलों में बड़ा नुकसान उठाना पड़ा।
केंद्र ने नहीं सुनी थी बात- अजित पवार
उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले ही केंद्र सरकार को जानकारी दी गई थी कि प्याज के मुद्दे का समाधान निकालना जरूरी है। अजित पवार ने कहा कि लोकसभा चुनाव के बीच ही प्याज का मुद्दा जोर पकड़ने लगा। प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध की वजह से दाम कम हो गए थे और इससे किसान नाराज थे। उन्होंने कहा, हमने केंद्र सरकार को ऐसे उपाय बताए थे जिससे प्याज उत्पादक और उपभोग्ता दोनों ही खुश हो सकते थे। हालांकि इसपर ध्यान ना देने की वजह से जलगांव और रावेर को छोड़कर नासिक, पुणे, नगर और सोलापुर की सीटों पर महायुती की सरकार को नुकसान झेलना पड़ा।
पवार ने कहा कि शपथ ग्रहण समारोह के दौरान इस बारे में एक बार फिर से उन्होंने पीयूष गोयल और अमित शाह से बात की है। वहीं जब आरएसएस के मुखपत्र में बीजेपी की हार की आलोचना को लेककर उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। पवार ने कहा कि वह नई उम्मीद के साथ विधानसभा चुनाव में उतरेंगे और निश्चित तौर पर उनकी पार्टी अच्छा प्रदर्शन करेगी। बता दें कि आरएसएस के मुखपत्र में बीजेपी की हार की वजह 400 पार के नारे को बताया गया था। वहीं एनसीपी से गठबंधन को हार की वजह बताया गया था। बता दें कि एनसीपी को इस बार लोकसभा चुनाव में केवल एक सीट पर सफलता मिली है।
इस बार एनडीए ने महाराष्ट्र में 48 में से केवल 17 सीटें ही हासिल कीं। इनमें से 9बीजेपी के खाते में, 7 शिवसेना शिंदे गुट के खाते में और एक ही सीट एनसीपी के खाते में गई है। वहीं महाविकास अघाड़ी गठबंधन ने 48 में से 30 सीटें जीतीं। एकनाथ शिंदे ने भी स्वीकार किया था कि किसानों की नाराजगी गठबंधन पर भारी पड़ी है। उन्होंने कहा था कि नासिक में प्याज ने रुलाया था तो मराठवाड़ा और बिदर्भ में सोयाबीन और कपास ने रुला दिया।