भोपाल : एक जनसभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर तीखा हमला बोला। उन्होंने हालिया भारत-पाकिस्तान संघर्षविराम (सीजफायर) को लेकर पीएम मोदी पर व्यंग्य करते हुए कहा, “उधर से ट्रंप का एक फोन आया और इधर नरेंद्र, सरेंडर!”
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि बीजेपी और आरएसएस की विचारधारा दबाव में टिक नहीं सकती। उन्होंने कहा, “इन पर थोड़ा सा दबाव डालो, डरकर भाग जाते हैं। इनका इतिहास ‘सरेंडर की चिट्ठी’ लिखने का रहा है।”
1971 युद्ध और इंदिरा गांधी का जिक्र
राहुल ने 1971 के भारत-पाक युद्ध का उल्लेख करते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की दृढ़ता को याद किया। उन्होंने कहा, “जब अमेरिका का सातवां बेड़ा हिंद महासागर में आया था, तब इंदिरा जी ने साफ कहा था – मुझे जो करना है, वो करूंगी।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि “1971 में कांग्रेस ने सुपरपावर की धमकी को दरकिनार कर पाकिस्तान को हराया था। हमारे बब्बर शेर और शेरनियां कभी झुकते नहीं, बल्कि डटकर लड़ते हैं।”
जातिगत जनगणना और सामाजिक न्याय
राहुल गांधी ने सामाजिक न्याय की लड़ाई को कांग्रेस की प्राथमिकता बताते हुए वादा किया कि उनकी पार्टी लोकसभा में जातिगत जनगणना पारित करवाएगी। उन्होंने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा, “दबाव पड़ते ही बीजेपी-आरएसएस के नेता भी जातिगत जनगणना की बात करने लगते हैं, लेकिन इसे लागू करने की उनमें न इच्छा है, न नीयत।”
‘न्याय वाला भारत चाहिए, अडानी-अंबानी वाला नहीं’
राहुल गांधी ने सरकार पर कॉरपोरेट घरानों के पक्ष में काम करने का आरोप लगाते हुए कहा, “बीजेपी और आरएसएस एक ऐसा भारत चाहते हैं जो अडानी-अंबानी का हो, लेकिन कांग्रेस एक न्यायपूर्ण भारत चाहती है।” उन्होंने गांधी, नेहरू और सरदार पटेल का उदाहरण देते हुए कहा कि “ये लोग कभी किसी सुपरपावर के आगे नहीं झुके, बल्कि डटकर लड़े।”
निष्कर्ष
अपने भाषण में राहुल गांधी ने एक बार फिर बीजेपी-आरएसएस की विचारधारा पर तीखा प्रहार करते हुए उन्हें सामाजिक न्याय और संवैधानिक मूल्यों का विरोधी बताया। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी, मोहन भागवत और नितिन गडकरी का नाम लेते हुए कहा कि “ये लोग बड़े-बड़े दावे करते हैं, लेकिन दबाव में आकर हमेशा झुक जाते हैं।”