रांची:झारखंड के रांची में रैनबो होम में दो नाबालिग आदिवासी बच्चियों के साथ यौनाचार का मामला तूल पकड़ रहा है। रैनबो होम में यौनाचार की शिकायत के बावजूद प्रबंधन ने इसे दबा दिया था। अब पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस मामले की सीबीआई से जांच कराने की मांग की है।
जानकारी के बावजूद पुलिस को नहीं दी गई सूचना
इस संबंध में उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से गुरुवार को पत्राचार किया है। रघुवर दास ने लिखा है कि झारखंड में कार्यरत एक गैर सरकारी संस्था खुशी रैनबो होम में पिछले दिनों दो आदिवासी बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटना हुई। यह संस्था पूर्व अधिकारी हर्ष मंदर की संस्था सेंट्रल फॉर इक्विटी स्टडीज के द्वारा संचालित की जा रही है। संस्था के लोगों को इस घटना की जानकारी होने के बावजूद इसकी सूचना पुलिस को नहीं दी गयी, बल्कि इस घटना को छिपाने का प्रयास भी किया गया। रघुवर दास ने लिखा है कि आदिवासी बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटना चिंता का सबब है।
प्रभावशाली शख्स हैं हर्ष, इसलिए सीबीआई जांच की जरूरत
रघुवर दास ने केंद्रीय गृह मंत्री को लिखा है कि हर्ष मंदर केंद्र की यूपीए सरकार में सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाले राष्ट्रीय सलाहकार परिषद के सदस्य रह चुके हैं। उनका इतिहास काफी विवादपूर्ण रहा है। देश विरोधी गतिविधियों में शामिल संस्थानों के साथ उनका जुड़ाव जगजाहिर है। सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के मामले में भी उनकी सक्रिय भूमिका रही है, जिस मामले में दिल्ली पुलिस जांच कर रही है। इनकी संस्था उम्मीद अमन घर एवं खुशी रेनबो होम में पहले भी बाल यौन उत्पीड़न की शिकायतें आती रही हैं।
राज्य पुलिस को कटघरे में खड़ा किया
जांच के लिए आए एनसीपीसीआर अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने पूरे मामले में झारखंड पुलिस को कटघरे में खड़ा किया है। प्रियंक ने भी जांच में पाया है कि संस्था पूर्व नौकरशाह के नाम पर निबंधित है। उन्होंने ट्वीट में लिखा है कि- यह शर्मनाक बात है कि चार घंटे से झारखंड पुलिस बच्चे के यौन शोषण के संज्ञेय अपराध पर भी एफआईआर दर्ज करने के लिए बच्चे के परिजनों को बुलाकर फरियादी बनाने की जिद पर अड़ी है, पुलिस न तो स्वयं से मुकदमा बना रही है और न हीं एनसीपीसीआर को फरियादी बता रही है। हालांकि एनसीपीआर अध्यक्ष के ट्वीट के बाद रांची के नगड़ी थाना के एसआई विनोद राम के बयान पर इस संबंध में संस्था के गार्ड के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। गौरतलब है कि यौन शोषण की जानकारी मिलने के बाद संस्था ने जानकारी छिपा दी थी, बाद में बाल अधिकार कार्यकर्ता बैजनाथ कुमार की शिकायत पर एनसीपीसीआर ने मामले में जांच की और तथ्यों को सही पाया।