भरतपुर:राजस्थान में इन दिनों कक्षा 10 और 12 की बोर्ड की परीक्षा चल रही है। परीक्षा की तैयारी के लिए बच्चे जी जान से मेहनत कर रहे हैं। लेकिन ग्रामीण इलाकों में बिजली गुल होने से बच्चे मोबाइल की टॉर्च के उजाले में पढ़ाई करने को मजबूर हैं। रात के वक्त बिजली न आने की वजह से बच्चों को बोर्ड परीक्षा की तैयारी के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।
मोबाइल की टॉर्च के उजाले में क्यों कर रहे हैं पढ़ाई?
दरअसल भरतपुर जिले के ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में दिन और रात के समय बिजली गुल रहती है। बच्चे दिन के समय तो जैसे-तैसे पढ़ाई कर लेते हैं, मगर रात के समय बिजली नहीं आने से अंधेरा रहता है। इसलिए अपने मोबाइल की टॉर्च जलाकर जितना हो सकता है, परीक्षा की तैयारी में जुट जाते हैं। हालांकि एक तरफ तो बिजली गुल रहने से अंधेरा रहता है, वहीं दूसरी तरफ कूलर-पंखा नहीं चलने से गर्मी से भी जूझना पड़ता है।
बिजली समस्या को लेकर यह बोले स्टूडेंस्ट्स
स्टूडेंट्स का कहना है कि हमारी बोर्ड परीक्षा चल रही है लेकिन हम पढ़ाई कैसे करें क्योंकि बिजली गुल रहती है। अंधेरा होने की वजह से पढ़ाई करने के लिए हमें मोबाइल की टॉर्च का सहारा लेना पड़ रहा है। बच्चों ने कहा कि एक तरफ तो अंधेरा और दूसरी तरफ हमें गर्मी से जूझना पड़ रहा है। यदि इसी तरह से बिजली गुल रहेगी तो हम पढ़ाई नहीं कर पाएंगे और हमारा भविष्य खराब हो जाएगा।
40 डिग्री से ऊपर तापमान, बिजली कटौती की समस्या बरकरार
राजस्थान के अधिकतर इलाकों में गर्मी का प्रकोप बढ़ता जा रहा है, कई जिलों में तापमान 40 डिग्री से ऊपर है। गर्मी के प्रकोप के साथ ही जल संकट बरकरार है। बिजली नहीं आने से जल आपूर्ति भी ठप रहती है और लोगों को गर्मी से भी आहत होना पड़ता है। बिजली गुल होने की समस्या जिले के ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में देखी जा सकती है।
गौरतलब है कि हाल ही में राजस्थान सरकार के बिजली विभाग में एक आदेश जारी किया था। आदेश में निर्देशित किया गया था कि रमजान के महीने में मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में बिजली आपूर्ति नियमित रखी जाए। हालांकि इस आदेश का पूरे राजस्थान में विरोध शुरू हो गया था जिसकी वजह से सरकार को यह आदेश वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा था। अब सवाल यह उठता है कि सरकार एक तरफ धार्मिक आयोजनों के लिए बिजली आपूर्ति के निर्देश जारी करती है, वहीं बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी कर रहे बच्चों के लिए बिजली आपूर्ति करने की सरकार को क्या जरा भी चिंता नहीं है।