उदयपुर:आसपास पहाड़ियों व जंगलों की सूखी घास में अब भी आग का लगना और लपटों का उठना जारी है। एक जगह आग पर काबू पाने के बाद दूसरी जगह आग की लपटें उठने लगती हैं। वल्लभनगर इलाके में कछेर के जंगलों में 80 बीघा क्षेत्र में आग फैली है। लगातार फायर ब्रिगेड द्वारा आग पर काबू पाने की कोशिश जारी है। हाल ही में उदयपुर शहर के पास सज्जनगढ़ वन्यजीव अभयारण्य और बड़ी तालाब के आसपास लगी आग पर एयरफोर्स के हेलिकॉप्टर से काबू पाया जा सका था।
गांव के लोगों के मुताबिक मंगलवार दोपहर में लगी आग ने गुरुवार तक भयानक रूप ले लिया। आग की लपटें करीब 10 किमी दूर सड़क से दिखाई देने लगी हैं। ग्रामीणों ने मौके पर पहुंचकर आग पर काबू पाने की कोशिश की। ऊंची उठती लपटों के आगे ये सब लोग बेबस थे। आग बुझाने के लिए भींडर नगर पालिका से फायर ब्रिगेड भेजी गई। कुछ क्षेत्र में आग पर काबू पाया गया, लेकिन पहाड़ी क्षेत्र होने से फायर ब्रिगेड ज्यादा दूर तक नहीं जा सकी।
वल्लभनगर में जिस इलाके में आग लग रही है, उस जगह से 200 से 300 मीटर दूरी पर ही एक गांव है। गांव के लोग अपने स्तर पर ही काबू कर रहे हैं। वहीं यहां से नजदीक ही 35-35 हेक्टेयर के 2 घने जंगल हैं। इस इलाके में जंगली जानवर भी हैं। समय रहते आग पर काबू नहीं पाया गया तो जंगली जानवरों की जिंदगी खतरे में पड़ जाएगी।
उदयपुर में सबसे पहले गोवर्धन विलास व आसपास क्षेत्र की पहाड़ियों पर आग लगी थी। जिस पर गांव वालों ने ही काबू पा लिया था। इसके बाद केवड़े की नाल जो सबसे घना जंगल है, वहां भी आग ने फैलना शुरू कर दिया था। वन विभाग की टीम ने वहां मौजूद जलस्रोतों से आग पर कई दिनों बाद काबू पाया। इसके बाद कोटड़ा व झाड़ोल के जंगलों में भी आग लगी, लेकिन ज्यादा विकराल रूप नहीं लिया। पिछले दिनों सज्जनगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में आग ने विकराल रूप लिया तो एयरफोर्स का हेलिकॉप्टर मंगवाना पड़ा था। अब वल्लभनगर के जंगलों में आग लगी।
वन विभाग के एक्सपर्ट बताते हैं कि आग लगने की वजह सूखी घास और तेज गर्मी है। लेकिन अब मौसम में कुछ बदलाव आ रहा है। कुछ जगहों पर बारिश हुई है। सभी जगह बारिश हुई तो इन इलाकों में आग पर खुद ब खुद काबू पाया जा सकेगा। इस बार आग फैलने की वजह यह है कि फायर लाइन सही नहीं बनी हो। फायर लाइन की दूरी और ज्यादा बढ़ानी पड़ेगी ताकि जंगल में आग को फैलने से रोका जा सके।