राज्यसभा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने बिना नामांकित सदस्यों के ही बहुमत हासिल कर लिया है। यह महत्वपूर्ण बदलाव ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के एनडीए में शामिल होने से आया है। एआईएडीएमके के चार सांसदों के समर्थन से एनडीए की स्थिति और मजबूत हो गई है, जबकि विपक्ष की ताकत कमजोर हुई है।
यह सियासी समीकरण तब और दिलचस्प हो गया जब यह सामने आया कि कुछ समय पहले जब केंद्र सरकार ने राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया था, तब एआईएडीएमके ने उसके विरोध में वोट किया था। इसके बावजूद अब पार्टी ने एनडीए के साथ खड़े होने का फैसला किया है।
राज्यसभा में वर्तमान स्थिति
राज्यसभा में फिलहाल कुल 236 सदस्य हैं, जबकि 9 सीटें खाली हैं। एनडीए के पास वर्तमान में 119 सांसद हैं, जिसमें हरियाणा के निर्दलीय सांसद कार्तिकेय शर्मा भी शामिल हैं, जिन्होंने भाजपा के समर्थन से चुनाव जीता था। अब एआईएडीएमके के चार सांसदों के जुड़ने से एनडीए की सदस्य संख्या बढ़कर 123 हो गई है।
जब राज्यसभा अपनी पूरी क्षमता यानी 245 सदस्यों तक पहुंचेगी, तब भी एनडीए बहुमत में बना रहेगा।
नामांकित सदस्यों का समर्थन
एनडीए को छह नामांकित सदस्यों का भी समर्थन प्राप्त है। ये सभी भाजपा द्वारा नामित किए गए हैं और परंपरागत रूप से ऐसी स्थिति में वे उसी पार्टी के पक्ष में मतदान करते हैं जिसने उन्हें राज्यसभा भेजा हो। इनके जुड़ने से एनडीए की प्रभावी सदस्यता 129 हो जाती है।
भविष्य की स्थिति और खाली सीटें
राज्यसभा की 9 खाली सीटों में से 4 नामांकित सदस्य के लिए आरक्षित हैं, जिनकी नियुक्ति केंद्र सरकार करेगी। इसके अलावा, चार सीटें जम्मू-कश्मीर से हैं और एक आंध्र प्रदेश से, जहां एनडीए की सहयोगी तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) की सरकार है। इन सीटों के भरने के बाद एनडीए की कुल संख्या 134 या उससे अधिक तक पहुंच सकती है।
एनडीए का राज्यसभा में विस्तार
भाजपा के पास राज्यसभा में 98 सदस्य हैं, जिसमें दो नामांकित सदस्य शामिल हैं। उनके सहयोगियों की स्थिति इस प्रकार है:
- जद (यू): 4 सदस्य
- राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी): 3 सदस्य
- टीडीपी: 2 सदस्य
- शिवसेना (शिंदे गुट), AGP, PMK, RLD, RLM, तमिल मानीला कांग्रेस (मूपनार), NPP, जद (एस), आरपीआई (अठावले), UPPL, और MNF: 1-1 सदस्य
राज्यसभा में बहुमत की यह नई स्थिति मोदी सरकार को विधायी कार्यों में अधिक सहूलियत देगी। एआईएडीएमके का समर्थन, भले ही कुछ समय पहले तक विरोध की स्थिति में था, लेकिन अब एनडीए के पक्ष में सियासी समीकरण को और अधिक स्थिर करता दिख रहा है। आने वाले समय में राज्यसभा में सरकार का एजेंडा पहले से अधिक सुगमता से पारित होता दिख सकता है।