शास्त्रों में शनि अमावस्या का विशेष महत्व है। आपको बता दें कि जब अमावस्या शनिवार के जिन पड़ती है तो वह शनि अमावस्या कहलाती है। इस दिन शनि देव की विशेष रूप से पूजा- अर्चना करने का विधान है। वहीं इस बार शनि अमावस्या 21 जनवरी को पड़ रही है। साथ ही इन दिन मौनी अमावस्या भी है और 30 साल बाद शनि देव के कुंभ राशि में होने से यह दुर्लभ संयोग भी बना हुआ है। साथ ही इस दिन 4 अन्य योग भी बन रहे हैं। इसलिए इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त, तिथि, योग और पूजा मुहूर्त…
वैदिक पंचांग के अनुसार इस बार अमावस्या 21 जनवरी को सुबह 6 बजकर 16 मिनट से शुरू होगी और जो कि 22 जनवरी को सुबह 2 बजकर 21 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार अमावस्या 21 जनवरी को मनाई जाएगी। साथ ही शनि देव की पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 6 बजे से 7 बजकर 30 मिनट तक रहेगा।
पंचांग के अनुसार इस बार शनिश्चरी अमावस्या पर खप्पर योग, चतुग्रही योग, षडाष्टक योग और समसप्तक योग बन रहे हैं। साथ ही शनि देव भी अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में रहेंगे।
इस दिन शाम को शनि मंदिर में जाकर शनि प्रतिमा के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। साथ ही शनि प्रतिमा पर सरसों का तेल चढ़ाना चाहिए। वहीं शनि चालीसा और शनि देव के बीज मंत्र का जाप करना चाहिए। वहीं इस दिन काले कंबल, काले जूते, काले तिल, काली उड़द का दान करना सबसे उत्तम माना गया है। साथ ही जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही हो वो लोग इस दिन शनि म के समय पीपल के पेड़ के नीचे चौमुखा दीपक जलाएं। साथ ही सरसों के तेल से शनि महाराज का अभिषेक करें। ऐसा करने से उन्हें शनि दोष से मुक्ति मिल सकती है। वहीं इस दन मौनी अमावस्या भी है तो सुबह गंगा स्नान करना चाहिए और उसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करके ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और पितरों के नाम से दान-पुण्य करें।