नई दिल्ली:यूरोपियन कमिशन की प्रेसिडेंट उर्सुला वोन डेर लेयेन इन दिनों भारत दौरे पर हैं। रायसीना डायलॉग की शुरुआत में उन्होंने कहा कि आने वाले दशक में भारत और यूरोपीय यूनियन के बीच संबंध बहुत आवश्यक हैं। आने वाला समय भारत का है। उन्होंने कहा कि भारत और ईयू दोनों के उद्देश्य एक ही हैं। जब हर पांच साल में भारत में चुनाव होते हैं तो पूरी दुनिया की नजरें भारत पर ही होती हैं। पूरी दुनिया जानना चाहती है कि 130 करोड़ लोग आखिर किसको चुनने जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, भारत और ईयू के फंडामेंटल वैल्यूज और कॉमन इंटरेस्ट को देखते हुए साथ चलने की जरूरत है। हम मौलिक अधिकारों में विश्वास रखते हैं। इसी के जरिए कोई लोकतंत्र मजबूत होता है। इस मामले में भी भारत और हमारी सोच मिलती है।
ईयू चीफ ने यह भी कहा कि यूरोप में लगभग 2 हजार साल पहले लोकतंत्र शुरू हुआ था हालांकि अब भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र है। उन्होंने कहा कि आपस में सुरक्षित और स्वतंत्र व्यापार प्रगति के रास्ते को खोलेगा।
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को लेकर ईयू चीफ ने कहा कि कीव के ऊपर इस तरह का हमला रूस की रणनीतिक विफलता है। उन्होंने कहा कि यूरोप यूक्रेन के साथ खड़ा है और संप्रभुता को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करेगा। रूस की यह आक्रामकता यूरोप के लिए भी खतरा हो सकती है। इसीलिए रूस पर प्रतिबंध लगाना जरूरी हो गया।
रायसीना डायलॉग की शुरुआत के समय प्रधानमंत्री मोदी, ईयू चीफ और विदेश मंत्री एस जयशंकर मौजूद रहे। यह रायसीना डायलॉग का सातवां संस्करण है और 27 अप्रैल तक चलेगा। रायसीना डायलॉग के 6 अजेंडे हैं। इसमें कारोबार, प्रौद्योगिकी व विचारधारा, हिंद प्रशांत की स्थिति, जलवायु परिवर्तन औ जल समूह शामिल है।