जयपुर:जयपुर में हुए राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण NALSA के राष्ट्रीय सम्मेलन में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के वकीलों की महंगी फीस का मुद्दा छाया रहा। केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समेत ने प्राधिकरण के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में अपनी बात रखते हुए वकीलों की महंगी फीस पर चिंता जताई है।
‘आम आदमी कहां से लाएगा इतने पैसे’
दरअसल, सत्र को संबोधित करते हुए किरण रिजिजू ने कहा कि अमीर लोग अच्छा वकील कर लेते हैं, पैसे देते हैं। सुप्रीम कोर्ट में कई वकील ऐसे हैं, जिन्हें आम आदमी अफोर्ड ही नहीं कर सकता है। एक-एक केस में सुनवाई के एक वकील 10 लाख, 15 लाख रुपए चार्ज करेंगे तो आम आदमी कहां से लाएगा। कोई भी कोर्ट केवल प्रभावशाली लोगों के लिए नहीं होना चाहिए। यह हमारे लिए चिंता का विषय है।
‘मातृभाषा बोलने की स्वतंत्रता होनी चाहिए’
उन्होंने यह भी कहा कि न्याय का द्वार सबके लिए हमेशा बराबर खुला रहना चाहिए। रिजिजू ने अदालती कार्यवाही में इस्तेमाल की जाने वाली भाषाओं पर भी चर्चा की। उन्होंने हिंदी में अपना संबोधन दिया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट में तर्क और निर्णय अंग्रेजी में होते हैं। लेकिन हाईकोर्ट और निचली अदालतों में क्षेत्रीय और स्थानीय भाषाओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि अगर मुझे अंग्रेजी में बोलने में समस्या है तो मुझे अपनी मातृभाषा बोलने की स्वतंत्रता होनी चाहिए।
लंबित केसों पर चिंता जताई
इसके साथ ही रिजिजू ने अदालतों में लंबित केसों की संख्या बढ़ने पर भी चिंता जताई और कहा कि लंबित केसों की संख्या करीब पांच करोड़ होने वाली है। उन्होंने कहा कि दो साल में दो करोड़ केस निपटाने का लक्ष्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार और न्यायपालिका के बीच अच्छा समन्वय होना चाहिए ताकि लोगों को न्याय दिलाने के उद्देश्य को हासिल करने में देरी न हो। यह एक चुनौती है और इस पर चर्चा करने के लिए यह बैठक एक अच्छा अवसर है।
गहलोत ने जजों पर साधा निशाना
वहीं इस बैठक में शामिल राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि कई जज फेस वैल्यू देखकर फैसला देते हैं। वकीलों की फीस इतनी ज्यादा है कि गरीब आदमी सुप्रीम कोर्ट नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि गरीब आदमी आज सुप्रीम कोर्ट नहीं जा सकता। इसको कौन ठीक कर सकता है। समझ से परे है। अच्छे-अच्छे लोग सुप्रीम कोर्ट नहीं जा सकते।