आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि भारत में मुसलमानों को डरने की कोई जरूरत नहीं है, लेकिन उन्हें ”श्रेष्ठता की मानसिकता” छोड़नी होगी। एक बार हमने शासन किया, फिर से शासन करेंगे, इस भावना से उन्हें बाहर आना होगा।
आर्गनाइजर और पांचजन्य को दिए साक्षात्कार में भागवत ने एलजीबीटी समुदाय का भी समर्थन किया। कहा कि उनके लिए भी समाज में स्थान होना चाहिए और संघ को इस विचार को बढ़ावा देना होगा। ऐसी प्रवृत्ति वाले लोग हमेशा से रहे हैं।
भागवत ने कहा कि दुनियाभर में हिंदुओं में आई नई आक्रामकता समाज में जागृति के कारण है क्योंकि इस समाज को 1000 वर्षों से अधिक समय से युद्ध करना पड़ा है। इस समाज को विदेशी आक्रांताओं विदेशी प्रभाव और विदेशी षड्यंत्रों के खिलाफ लड़ना पड़ा है।
हिंदू समाज हुआ जागृत
जब से मनुष्य का अस्तित्व है, तब से। यह जैविक है। जीवन का एक पहलू है। हम चाहते हैं कि उन्हें भी निजी स्पेस मिले और वे महसूस करें कि हम भी समाज का एक हिस्सा हैं। यह बहुत साधारण मुद्दा है। हमें इस विचार को बढ़ावा देना होगा, क्योंकि इसे सुलझाने का कोई दूसरा तरीका निरर्थक साबित होगा।
भागवत ने कहा कि दुनियाभर में हिंदुओं में आई नई आक्रामकता समाज में जागृति के कारण है, क्योंकि इस समाज को 1,000 वर्षों से अधिक समय से युद्ध करना पड़ा है। इस समाज को विदेशी आक्रांताओं, विदेशी प्रभाव और विदेशी षड्यंत्रों के खिलाफ लड़ना पड़ा है। संघ इस उद्देश्य में उनका समर्थन करता है। कई लोग ऐसे हैं, जिन्होंने इसके बारे में बात की है। और इन सबके कारण ही हिंदू समाज जागृत हुआ है।
भागवत ने कहा, हिंदुत्व हमारी पहचान है, हमारी राष्ट्रीयता है, हमारी सभ्यता की विशेषता है- एक ऐसा गुण जो सबको अपना मानता है। जो सबको साथ लेकर चलता है। हम कभी नहीं कहते, मेरा ही सच्चा और तुम्हारा झूठा। तुम अपनी जगह सही। मैं अपनी जगह सही। क्यों लड़ें, साथ चलें-यह हिंदुत्व है।
संघ प्रमुख ने कहा, सीधी सी बात तो यह है कि हिंदुस्थान को हिंदुस्थान रहना चाहिए। इससे आज भारत में जो मुस्लिम हैं, उन्हें कोई नुकसान नहीं है। मुस्लिमों को डरने की कोई जरूरत नहीं है। लेकिन, उसी समय उन्हें श्रेष्ठता की भावना छोड़नी होगी।