रतन टाटा, भारत के महान उद्योगपति और टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन, का 9 अक्टूबर को मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। रतन टाटा ने अपने जीवनकाल में न केवल व्यवसाय के क्षेत्र में बल्कि समाजसेवा, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा में भी अभूतपूर्व योगदान दिया। उनके जीवन की कुछ प्रमुख बातें और उनके कार्यों का विवरण यहां दिया गया है:
1. प्रारंभिक जीवन और पारिवारिक पृष्ठभूमि
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में हुआ था। वे नवल टाटा और सूनी टाटा के बेटे थे। उनका पारिवारिक जीवन चुनौतीपूर्ण रहा, क्योंकि जब वे केवल 10 साल के थे, तब उनके माता-पिता का तलाक हो गया था। इसके बाद उनका पालन-पोषण उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने किया। रतन टाटा का एक भाई भी है, जिसका नाम जिमी टाटा है।
2. शिक्षा और प्रारंभिक करियर
रतन टाटा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने शिमला के बिशप कॉटन स्कूल से पढ़ाई की। उच्च शिक्षा के लिए वे अमेरिका चले गए और वहां न्यूयॉर्क के कॉर्नेल विश्वविद्यालय से आर्किटेक्चर की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से मैनेजमेंट की पढ़ाई की।
करियर के शुरुआती दिनों में, रतन टाटा ने टाटा स्टील के प्लांट में ब्लास्ट फर्नेस में काम किया, जहां उन्हें चूना पत्थर खोदने जैसे शारीरिक श्रम से भी गुजरना पड़ा। यह अनुभव उनके नेतृत्व कौशल को मजबूत बनाने में मददगार साबित हुआ।
3. टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति (1991)
1991 में रतन टाटा ने टाटा समूह के अध्यक्ष पद पर जेआरडी टाटा की जगह ली। यह समय भारत में आर्थिक उदारीकरण का था और रतन टाटा ने इस मौके का पूरा लाभ उठाया। उन्होंने टाटा समूह को न सिर्फ भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर विस्तार करने की दिशा में अग्रसर किया। उनके नेतृत्व में टाटा ग्रुप की कंपनियों ने न सिर्फ अपनी आय बढ़ाई बल्कि नए-नए क्षेत्रों में प्रवेश किया।
4. अंतर्राष्ट्रीय अधिग्रहण
रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह ने कई अंतर्राष्ट्रीय ब्रांडों का अधिग्रहण किया। इसमें ब्रिटिश ऑटोमोबाइल कंपनी जगुआर और लैंड रोवर का अधिग्रहण (2008) शामिल है, जो टाटा मोटर्स के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी। इसके अलावा उन्होंने अमेरिका की लक्जरी होटल श्रृंखला रिट्ज कार्लटन और इतालवी एयरोस्पेस कंपनी पियाजियो का भी अधिग्रहण किया। इन अधिग्रहणों ने टाटा समूह को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान दी।
5. व्यवसाय में उत्कृष्टता
रतन टाटा के कार्यकाल के दौरान टाटा समूह की कंपनियों का रेवेन्यू 50 से 40 गुना तक बढ़ा। उन्होंने टाटा समूह को 100 से अधिक देशों में फैलाया और 100 से अधिक कंपनियों का प्रबंधन किया। उनके कार्यकाल के दौरान टाटा समूह का वार्षिक राजस्व $5 बिलियन से बढ़कर $100 बिलियन हो गया।
6. पुरस्कार और सम्मान
रतन टाटा को उनके योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा कई बार सम्मानित किया गया। उन्हें साल 2000 में पद्म भूषण और 2008 में पद्म विभूषण से नवाजा गया, जो भारत के तीसरे और दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान हैं। इसके अलावा, उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी कई पुरस्कार मिले, जिनमें सिंगापुर, इटली, फ्रांस, जापान, और ऑस्ट्रेलिया की सरकारों द्वारा दिए गए सम्मान शामिल हैं। ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ II ने उन्हें ब्रिटिश साम्राज्य का मानद नाइट भी बनाया।
7. शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा में योगदान
रतन टाटा ने शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। टाटा समूह ने समय-समय पर भारत के प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों को अरबों डॉलर का अनुदान दिया है। उनके नेतृत्व में टाटा ट्रस्ट और टाटा एजुकेशन एंड डेवलपमेंट ट्रस्ट ने कई स्कॉलरशिप प्रोग्राम्स चलाए, जिससे हजारों छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने का मौका मिला। स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में रतन टाटा ने कैंसर रिसर्च और इलाज के लिए कई अस्पतालों की स्थापना की, जिनमें प्रमुख अस्पताल मुंबई में स्थित है।
8. जानवरों के प्रति प्रेम
रतन टाटा जानवरों, विशेषकर कुत्तों के प्रति अपने प्रेम के लिए भी जाने जाते थे। उन्होंने जानवरों की देखभाल और संरक्षण के लिए कई संस्थानों को आर्थिक सहायता प्रदान की। इसके साथ ही, उन्होंने कुत्तों के लिए मुंबई में 165 करोड़ रुपये की लागत से एक अत्याधुनिक अस्पताल का निर्माण कराया, जहां आवारा कुत्तों की देखभाल की जाती है।
9. समाजसेवा और परोपकार
रतन टाटा ने अपने व्यवसायिक जीवन के अलावा समाजसेवा और परोपकार के क्षेत्र में भी अपनी विशेष पहचान बनाई। वे हमेशा से जरूरतमंदों की सहायता के लिए तत्पर रहते थे। 2004 की सुनामी और 2020 की COVID-19 महामारी के दौरान टाटा समूह ने बड़े पैमाने पर राहत सामग्री और धनराशि दान की। इसके अलावा, उन्होंने टाटा ट्रस्ट्स के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य और समाज कल्याण के कई कार्यक्रमों में योगदान दिया।
10. सेवानिवृत्ति और परोपकार के क्षेत्र में योगदान
रतन टाटा ने 2012 में टाटा समूह के चेयरमैन पद से सेवानिवृत्ति ली। हालांकि, वे इसके बाद भी टाटा ट्रस्ट्स के जरिए परोपकार के कार्यों में सक्रिय रहे। उन्होंने कई सामाजिक मुद्दों पर अपनी राय भी दी, जिसमें गरीबों की सहायता और महिला सशक्तिकरण जैसे विषय प्रमुख हैं।
रतन टाटा का जीवन एक प्रेरणा है, जिसमें उन्होंने न केवल व्यवसाय को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया, बल्कि समाज में भी सकारात्मक बदलाव लाने के लिए अनेक कार्य किए। वे हमेशा अपने नैतिक मूल्यों, परोपकारी दृष्टिकोण और व्यावसायिक उत्कृष्टता के लिए याद किए जाएंगे।